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________________ ४८० ] अध्याय दशवां। मांस खाना त्यागा होगा। उसके उर्दू तर्जुमेको इसलामिया हाईस्कूल बम्बईके सेक्रेटरीको दिखाया। उनके अनुरोधसे १००० उर्दु नकलें छपवाई । उस सेक्रेटरीने उस उर्दू तर्जुमेको पढ़कर मुझसे कहा कि मेरी तबियत मांस खानेसे हट गई है और मैं धीरे २ छोड़ता जाता हूं। फिर सेठजीने कहा कि एकताके लिये सभाएं स्थापित करना चाहिये । खापर्डे और डा० मुंजेके स्वदेशी वस्तुओंके प्रचारपर बहुत ही असरकारक व्याख्यान हुए । ता० ७ नवम्बरको महिला परिषद् हुई, २५०० स्त्रियां होगी । सौ० गुंजाबाई प्रमुख हुई । श्रीमती मगनबाईने स्त्रियों के कर्तव्यपर बहुत ही असरकारक भाषण दिया । सौ० सीताबाई आदिने भी कहा । मगनबाईजीने पढ़ी हुई स्त्रियों को जैन पुस्तकें बांटी। बहतसे प्रस्ताव पास हुए उनमें धर्मादेका सदुपयोगके प्रस्तावपर सेठ माणिकचंदनीने बहुत ज़ोर दिया । कारंजा, अमरावती, अंजनगांव आदिकी पाठशालाओंके छात्रोंकी परीक्षा बाबू शीतलप्रसाद आदिने ली । सेठ माणिकचंदजीके पास मिलने प्रायः हरएक गांवके मुखिया लोग आते थे । उनको सेटनी शिक्षा प्रचार, कुरीति निवारणके उपदेश देने में अपना समय लगाते थे। आपने यहां भी स्याद्वाद पाठशालाके चिरस्थायी करनेके खयालको नहीं भुला था। सेठ गुलावसाहनीको समझाकर एक नाम भराया। भातकुलीसे अमरावती होकर आप अपनी मंडली सहित श्री मुक्तागिरजीकी यात्राको पधारे । उस श्री मुक्तागिरजीकी वक्त ४० मीलका बैलगाड़ीका रास्ता था । यात्रा। एलिचपुर होते हुए तीर्थपर पहुंचे। यह तीर्थ सिद्धक्षेत्र है। यहांसे ३॥ करोड़ मुनि मोक्ष Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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