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________________ ४७४ । अध्याय दशवां। शेठ प्रेमचंद मोतीचंद दिगम्बर जैन बोर्डिंग स्कूलका वार्षिक अधिवेशन ता० ३० सितम्बर १९०६ को अमदावाद बोर्डिगमें बड़े समारोहके साथ हुआ । इसमें सेठ मासभा। णिकचंदजी शीतलप्रसादनीके साथ गए। ५०० गृहस्थ बाहरसे आए थे। सभापतिका आसन मि० चिनूभाई माधवलालने ग्रहण किया। आपने शिक्षा सम्बन्धी मनोहर भाषण दिया था । मियागांवके भगवानदास हरजी वनदासने १०००) व धनजीशाह मोतीचंद करमसदने १५१) मदद दी । आमोदवाले सेठ हरजीवन रायचंद भी आए थे । सेठनीको गुजरातके भाइयोंकी स्थिति देखकर बहुत दया आती थी और इसके सुधारनेके लिये इनकी समझमें एक गुजराती मासिक पत्र निकालनेकी खास आवश्यकता दीखती थी, जिसके लिये सम्पादकी करने योग्य आपने सेठ हरजीवन रायचन्दको तजबीज किया था । हरएक वार्षिक सभामें सेठनी इनको प्रेरणा करते थे । इस वर्ष विशेष जोर देकर कहा । साथमें यह भी कह दिया कि आप एक योग्य सवैतनिक कारकूनको रखकर उससे काम लेवें जिसका वतन मैं अपनी तरफसे देनेको तय्यार हूं । इस बातको सुनकर हरजीवन रायचंदने सेठजीके आश्चर्यकारक जाति प्रेमकी आति प्रशंसा की और यह कहा कि मैं यथाशक्ति इस कामके करनेका यत्न करूंगा। पत्रका नाम दिगम्बर जैन रखना तजबीज हुआ । यद्यपि सेठ हरजीवन रायचंद इस कामके योग्य थे पर ग्राममें रहने और बहुधन्धी होनेके कारण समय न निकाल सके और वह दिगम्बर जैन एक वर्ष तक फिर भी न निकला ! Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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