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________________ महती जातिसेवा प्रथम भाग । [ ४६५ काओं की शिक्षापर अत्यन्त जोर दिया व सेठजी धर्मकार्यों में कितने निरालसी व अपने आरामको बलि देनेवाले व रात्रिके ६ घंटे सिवाय सदा जागृत रह काम करनेवाले हैं ऐसा वर्णन किया । सेठ कालीदास वखतचंदने सूरतकी सर्व दिगम्बर जैन समाजकी तरफसे निम्नलिखित मानपत्र चंदनके कास्केटमें अर्पित किया : नकल मानपत्र (सूरत) श्रीमान दानवीर शेठ माणिकचंद हीराचंद झवेरी जे० पी० मुंबाई. महेरबान साहेब, आपनां व्यवहारिक तथा धार्मिक कामोनी योग्य कदर बुझीने नामदार कृपालु ब्रीटीश सरकार तरफथी आपने 'जस्टीस ऑफ धी पीस' (सुलेहना अमलदार) नी मानवंती पदवी आपवामां आवेली छे के जे पढ़वी हमारा धारवा प्रमाणे आखा हिंदुस्तानना दिगंबरी जैनोमां कोईने नथी ते माटे अत्रेंनी आपणी जैन दिगंबरी पांचे गोठ तरफथी अमारा खरा अंतःकरणथी आ मानपत्र आपवानी रजा लइए छीए. आपे अत्रेना आपणा दांडीआ गच्छना देरासरनो जीर्णोद्धार कराव्यो छे तथा सार्वजनिकने माटे चंदावाड़ी नामनी मोटी अने सुंदर धर्मशाळा बनावी छे तथा जैन पाठशाळा आपना तरफथी चाले छे. मुंबई, कोल्हापुर, अमदावाद वीगेरे ठेकाणे आपे बोर्डिंग हाउसो खोलीने ए बतावी आप्युं छे के हालना समयमां जैन श्रीमंतोए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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