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________________ ४६६ ] अध्याय दशवां | पोताना पैसानो बहु भाग विद्योन्नतिना काममांज वापरवो योग्य छे. मुंबईमां खास करीने दिगंबरी यात्रालुओने उतरवानुं महान कष्ट दूर करवाने अने समस्त हिंदुओना आश्रयने माटे आपे स्वर्गपुरी समान हीराबाग नामनी धर्मशाळा सवा लाख रूपीआ खरचीने बनावी छे. आपनी योग्यता जोईने आप मुंबई प्रांतिक सभा, दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभा अने स्याद्वाद पाठशाळानी प्रबंधकारिणी सभाना प्रमुख तथा भारतवर्षीय दि० जैन तीर्थक्षेत्र कमिटिना महामंत्री निमायला छो. आप धर्मोपदेशनी वृद्धि करवा माटे आपना तन मन अने धनथी हमेशां निमग्न रहो छो तेमज जैनीओना दरेक मेळामां आप आगेवान भाग लईने सरवे ठेकाणे एक संप करीने विद्यानो फैलावो करो छो. आपनी आवी उदारता जोईने भारतवर्षीय दिगंबर जैन महा सभाए आपने गया डिसेंबर मासना सहारनपुरना अधिवेशनमा प्रमुख नीमीने उचित पात्रनो उचित सत्कार कर्यो हतो. आपे आ सिवाय बीजां अनेक धर्म वृद्धिना कार्यो करेला छे जेनी प्रशंसा करवाने हमो शक्तिवान नथी तोपण उपरना वाक्योमा हमारा खरा हर्षने प्रकट करीए छीए. हमो नामदार कृपाळु ब्रिटिश सरकारनो हमारा खरा अंतःक रणथी आपने आ पदवी आपेली छे ते मोठे उपकार मानीए छीए के सरकारे आपना सारा गुणोनी योग्य कदर बुझी छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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