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महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४५७ जमा खर्च करके पक्का किया जायगा और अध्यापक मिलनेपर काम जारी होगा । सेठ माणिकचंदनीने जबलपुर बोर्डिगका हाल कहकर सहायताके लिये प्रार्थना की तो उसी समय सेठ पूरणशाहने २५०) प्रदान किये तब औरोंने भी लिखाया।
दूसरे दिन ता० ३० की शामको मगनबाईजीने स्त्रियोंके कर्तव्यपर व्याख्यान देकर गाली गवानेका त्याग कराया । रात्रिको यहां एक आम सभा राय मथुराप्रसाद वकीलके सभापतित्त्वमें हुई । डिस्ट्रिक्ट जन आदि नगरके प्रतिष्ठित पुरुष आए थे। शीतलप्रसादजीने धर्मविद्याकी आवश्यक्तापर १॥ घंटा व्याख्यान दिया । सभापति साहबने इसकी पुष्टताकी व सेठ माणिकचंदनीने सभापतिको धन्यवाद दिया। दूसरे दिन यहांसे सेठजी सिवनी पधारे। रात्रिको शीतलप्रसादनीने तत्त्वज्ञानके ऊपर व्याख्यान दिया और बोर्डिंगके . लिये मददको कहा तो बहुतसे भाइयोंने सहायता दी । कुल चंदा सिवनीका ७८३) और छिन्दवाड़ेका ५३१) हो गया। सेठनी शीतलप्रसादजीके साथ यहांसे गीरीडी (शिखरजी) गए और मगनबाईजी बम्बई आए। सेठजीका ध्यान चारों तरफ था। गीरीडी जानेकी जरूरत
__ यह थी कि शिखरजीकी उपरैली बीसपंथी श्री शिखरजी बीसपंथी कोठीका कुल चार्ज रिसीवरके हाथमें-ट्रप्ट उपरली कोठीका कमेटीके हाथमें लिया जावे। शिखरजी चार्ज। बीसपंथी कोठीका प्रबन्ध हरलालजीके मरनेके
बाद बहुत खराब था। प्रबन्ध आरावालोंके हाथ था । बम्बई समाने बारबार चाहा कि आरावाले एक कमेटी
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