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________________ ४५६ ] अध्याय दशवां । श्रीमती मगनपाईजीके व्याख्यान सुननेके लिये यहांके स्त्री व पुरुष बहुत उत्सुक थे सो ता० २७ जबलपुरकी स्त्री स- अप्रैलके सबेरे पाठशालामें स्त्री व पुरुषकी माजमें जागृति । सम्मिलित सभा हुई थी। हाजरी ५०० थी। फीमेल ट्रेनिंग कालेनकी लेडी सुप्रिन्टेन्डन्ट मिस रास भी कालेजमें पढ़नेवाली ३ जैन स्त्रियोंको लेकर ठीक ७ बजे पधारी और सभापतिके आसनको सुशोभित किया । श्रीमती बाईजीने विद्याकी आवश्यक्ता पर १॥ घंटा बहुत ही असरकारक व्याख्यान दिया । फिर भगवंतीबाई, जमनाबाई, गौरीबाई तथा मुन्नीबाईने भी अपने २ व्याख्यान पढ़े । मिस साहबाने मगनबाईजीके कथनको सहराते हुए कन्याश ला होनेपर बहुत ज़ोर दिया। उसी समय स्त्रियां दान करने लगीं । ५) मिस साहबाने भी देने कहे तथा दूसरे दिन एक प्रशंसाजनक पत्रके साथ ५) अपने और १) अन्य छात्रका ऐसे ६) भेज दिये । रात्रि तक मासिक व नकद सब मिलकर १५००) रु० का चंदा हो गया । . यह रुपया जबलपुर बोर्डिंग हाउसकी कमेटीके आधीन सेठजीने किया, वह कन्याशाला खुलवावे । रात्रिको भी मगनबाईजीका उपदेश स्त्रियों में विनय व शीलवतपर हुआ । वैशाख सुदी ६ ता० २९ अप्रैलको श्रीनीकी सवारी बड़े ___समारोहसे निकली। सिवनीसे सेठ पूरणशाह छिन्दवाड़ामें सेठजी- भी आये थे । रात्रिको सभामें पाठशालाके का भ्रमण। लिये कहा गया तब निश्चय हुआ कि चिरस्थाई फंडकी जो पट्टी हुई है उसको Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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