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महती जाति सेवा प्रथम भाग [ ४५५ तथा मकानकी सुन्दरता व सुपरिन्टेन्डेन्टके ऑफिसको देखकर प्रसन्नता प्रगट की । इस दिन नरसिंहपुर, कंदेली, पिपरिया, भौरसिरके ५ छात्र भरती हुए थे, परन्तु थोड़े ही दिनों में २३ छात्र हो गए । २ वर्षात १७ रहे, इनमें ४ संस्कृत, २ हाई स्कूल शेष १९ मिडिल स्कूलकी कक्षाओं में रहे। धार्मिक शिक्षा सुप० द्वारा नित्य दी जाने लगी और वार्षिक परीक्षा भी होने लगी । यद्यपि सेठजीने केवल २४०० ) की ही मदद दी थी, पर धर्मके प्रभावसे १ वर्षमें १३५१ ॥ ) १ खर्च होकर रोकड़ १११२) ५ रही। इस तरह यह बोर्डिंग कई वर्ष तक चलता रहा । सेठजी सिंहई नारायणदासको जो कई लाख के धनी थे पर पुत्र नहीं था, बारबार जब वे मिलते थे यही उपदेश करते थे कि आप इस बोर्डिंगको चिरस्थाई कर देवें, द्रव्य इसी में लगाना सफल है । इस उपदेश के बार२ असरसे सिंहई नारायणदास और उनकी धर्मपत्नीने एक कोठी १५०) मासिककी आमदनीकी दे दी तथा मरते समय २००००) बोर्डिगका मकान बनानेके लिये बाबू कंछेदीलाल वकील बी. ए. एल एल. बी. आदि टूष्टियों के सुपुर्द कर गए । सिंहनीके दो स्त्रियें थीं। दोनों विद्या प्रेमणी श्री । बाबू कंछेदीलालने बहुत ही हवादार स्थानमें जमीन लेकर बोर्डिंग बनवाया । इसके बनवाने में ४००००) लगे सो सत्र सिंहईजीके स्टेटसे लगे । यह बोर्डिंग एक दर्शनीय मकान बनगया है । ४० से अधिक छात्र रह सक्ते हैं। वर्तमान में सेक्रेटरी बाबू कंछेदीलालजी ही हैं।
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