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महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४३१ हीराबाग धर्मशालाको चालू हुए १॥ मास भी नहीं बीता
था कि इसमें श्री गिरनारजीकी यात्रा करके हीराबाग धर्मशालाका आनेवाले तीन बड़े संघ आए । सबसे मुख्य उपयोग, पानीपतका संघ ६५० भाई बहनोंका इच्छाराम कम्पसंघ और बंबईमें नीवाले लाला बद्रीदास रईस पानी रथोत्सव । पतके साथ था। संघके साथ. श्री मंदिरजी
व कई विद्वान शास्त्री पंडित व कवि मुंशी मंगतरायजी थे । बद्रीदासजीके भाई दरबारीलालजी व पुत्र लक्ष्मीचंदनी सुमेरचंदनी संघकी बैय्यावृतमें लीन थे। दूसरा संघ २०० की संख्याका श्रीमन्त सेठ पूरणसाह सिवनी छपराके साथमें और तीसरा १५७ की संख्याका दिहलीसे लाला मोतीलाल जौहरी और जौहरीमल खजांचीके साथ आया था । हीराबागने सबको स्थान दान कर दिया था। ता० १९ जनवरीको श्रीमती मगनबाईने हीराबागके लेक्चर हॉलमें शिक्षाकी उत्तेजनापर स्त्रियोंको भाषण देकर धार्मिक प्रतिज्ञाएं कराई थी। पानीपत बालोंके भाव बम्बई में रथोत्सव करनेके हुए । इस समय राजा दीनदयाल फोटोग्राफरके पुत्र राजा ज्ञानचंदजी बम्बईमें थे । आपके व सेठ माणिकचंदजीके उद्यमसे ता० २१ जनवरीको शोलापुरके मनोज्ञ चित्रित रथमें श्रीजीकी सवारी गाजे बाजे और जुलूसके साथ मुख्य २ बाजारों में होती हुई फिर लौटकर हीराबागमें आई । कालबादेवी रोडपर बाजा बजनेकी मनाई थी, पर इस समय वहां भी बाजा बजता गया था। जैनी स्त्रीपुरुष २०००के साथ थे । दर्शकोंकी भीड़का पार न था । बिना किसी
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