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________________ ४३० ] अध्याय दशवां। १ घंटा शिक्षाकी जरूरत पर खूब विवेचन किया, फिर अध्यक्षाके भाषणसे सारी सभा प्रसन्न हो गई । वार्षिक छात्रवृत्ति व १५०) का चंदा हुआ। सेठ माणिकचंदजीको मंदिरकी भी अच्छी भक्ति थी। , आपने स्तवनिधिके सर्व मंदिरोंमें संगमर्मर स्तवनिधि क्षेत्रमें जड़ानेका काम शुरू करा दिया जिससे संगमर्मरका जड़ाव । स्वच्छता व शोभा दोनों रहें । कोल्हापुरसे आकर सेठ माणिकचंदनीने समाचारपत्रमें यह पढ़कर बहुत हर्ष प्रगट किया कि श्वेतांबर सेठ माणिकचंदको जैनी बाबू पन्नालाल जो मरते समय हर्ष । ८ लाख रुपया निकाल गए थे उसमें ___ एक बड़ा मकान बनकर १ जैन हाईस्कूल और दवाखाना ता० ९ जनवरी १९०६ को बम्बई गवर्नर लार्ड लैमिङ्गटन के हाथसे खोला गया। खोलते समय लार्ड महो. दयने कहा " जैनियोंका इतिहास घना जानने योग्य है । इनका धर्म जीवदयाके सिद्धांतको पालनेवाला है। मैं जैन जातिका बहुत सन्मान रखता हूं । ये लोग उद्योगी तथा उदार दिलके होते हैं । बच्चोंको मानसिक शिक्षाके साथ २ धर्मशिक्षा अवश्य देनी योग्य है, क्योंकि धर्मशिक्षा ही से यह लोक तथा परलोक दोनों सुधरते हैं। उस समय पन्नालालजीके सुपुत्रोंने ३५५००) हाई स्कूलके फंडमें दिये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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