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महती जातिसेवा प्रथम भाग । [४२५ अपना व्याख्यान पढ़ा जिसमें कोल्हापुर बोर्डिंग और सेठ माणिकचंदनीकी बहुत प्रशंसा की। फिर प्रस्ताव हुए कि सभाकी रजिष्टरी की जाय, जिसका काम सेठ माणिकचंदजीके सुपुर्द हुआ। युवराज प्रिन्स और प्रिन्सेस ऑफ वेल्सको भारतवर्ष में पधारनेकी बधाईका, महाराज कोल्हापुर और सेठ माणिकचंदको कोल्हापुर बोर्डिंगकी सहायतार्थ धन्यवादका भी प्रस्ताव हुआ । शिक्षणफंड एकत्र करनेके लिये डेपुटेशन पार्टीका प्रस्ताव हुआ, जिसका समर्थन शीतलप्रसादनीने किया । पार्टीमें १० महाशयोंने एक या आधा मास भ्रमण करनेकी स्वीकारता दी। इनमें मुख्य सेठ माणिकचंदजी सबसे पहले तय्यार हुए । रात्रिको फिर सभा हुई, उसमें रावसाहब अंकलेने बम्बई यूनिवर्सिटीमें जैन ग्रंथ भरती होनेका प्रस्ताव करते हुए कहा कि मदरास यूनिवर्सिटीमें कनारी भाषामें मल्लिनाथपुराण और पम्प रामायण ये दो जैन ग्रंथ पढ़ाए जाते हैं । जैन जातिमें सत्य उपदेशका प्रचार त्यागी जन करें। इस प्रस्तावको त्यागी पार्श्वनाथस्वामीने पेश किया, जो पहले कनरीके माष्टर थे और १ वर्षसे घर त्यागा था । आपने अपने भ्रमणकी रिपोर्ट बताई कि ४० गांवोंमें दौरा किया जिनमें ३४ मंदिर, ६ धर्मशालाएं, ८७२ पंचम, ३६९ चतुर्थ और ५५ कासार जातिके घर हैं । कुल २१६३ श्रोताओंमेंसे रने पूर्ण ब्रह्मचर्य, १७ने परस्त्री-त्याग, १६ ने रात्रिभोजन-त्याग, २१ ने दशेन व ८४ ने और व्रत लिये । वास्तवमें त्यागियोंका यही कर्तव्य है कि जहाँ नावे सदाचार व धर्मवृद्धि युक्त नियम हर्ष पूर्वक उपदेश देकर करावें । आठवां प्रस्ताव सेठ माणिकचंदजीने पेश किया कि
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