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________________ नियम है कि जो भाड़ेकी आमदनी हो वीमा वगैरह का खर्च निकालकर जो बचे करना SECON महती जातिसेवा प्रथम भाग | [ ४१५ उसमेंसे टैक्स, चालू रिपेरउसका इस तरह भाग ३०) रिज़र्व फंडमें ( काम पड़ने पर खर्च हो ) ४०) औषधालय में । १०) बम्बई प्रान्तिक सभा के प्रबंध खाते में ( जब तक ऑफिस बम्बई में रहे । ) २०) दिगम्बर जैन गरीब लोगों की मदद में | १.००) इसके खास नियम हैं कि यहां मट्टीका तेल न जलाया जावे, कांच के ग्लास में खोपड़ेका तेल जले | जुआ रमना, मांसभक्षण, मदिरापान, व्यभिचार, जीवहिंसा, नाच तमाशा आदि नहीं हो सकेगा । एक सुपरिन्टेन्डेन्ट नियत है उसके पाससे बर्तन, गद्दे, कुर्सी, टेवुल सब मिलता है । सन् १९१२ २५९७ ८२९ ७५७५ दिगम्बर जैन श्वेताम्बर जैन हिन्दू Jain Education International सन् १९१४ ३९३७ ८७३ ४९६२ ११००१ ९७७२ दवाखाना भी शुरू से है । सन् १९१२ में २२७२६ बीमारोकी हाज़री थी, जिनमें नये बीमार ५९८ ६ . इस प्रकार थे ( शेष १७७४० पुराने थे । ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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