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नियम है कि जो भाड़ेकी आमदनी हो वीमा वगैरह का खर्च निकालकर जो बचे
करना
SECON
महती जातिसेवा प्रथम भाग |
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उसमेंसे टैक्स, चालू रिपेरउसका इस तरह भाग
३०) रिज़र्व फंडमें ( काम पड़ने पर खर्च हो ) ४०) औषधालय में ।
१०) बम्बई प्रान्तिक सभा के प्रबंध खाते में ( जब तक ऑफिस बम्बई में रहे । )
२०) दिगम्बर जैन गरीब लोगों की मदद में |
१.००)
इसके खास नियम हैं कि यहां मट्टीका तेल न जलाया जावे, कांच के ग्लास में खोपड़ेका तेल जले | जुआ रमना, मांसभक्षण, मदिरापान, व्यभिचार, जीवहिंसा, नाच तमाशा आदि नहीं हो सकेगा । एक सुपरिन्टेन्डेन्ट नियत है उसके पाससे बर्तन, गद्दे, कुर्सी, टेवुल सब मिलता है ।
सन् १९१२
२५९७
८२९
७५७५
दिगम्बर जैन
श्वेताम्बर जैन
हिन्दू
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सन् १९१४
३९३७
८७३
४९६२
११००१
९७७२
दवाखाना भी शुरू से है । सन् १९१२ में २२७२६ बीमारोकी हाज़री थी, जिनमें नये बीमार ५९८ ६ . इस प्रकार थे ( शेष
१७७४० पुराने थे । )
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