SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 439
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३८० ] अध्याय नवां । एवं इच्छी आ मानपत्र मानपूर्वक स्वीकारी आभारी करशो एवी आशा राखीए छीए. तथास्तु. बोरसद २६ ओगस्ट १९१४. __आपना सद्गुण चाहनारापरी० प्रेमानंद नारणदास शा० भाइजी पानाचंद शा० मथुरदास पानाचंद शा० छगनलाल मूलजी शा० काळीदासजेशींग बीन किशोरदास शा० धरमचंद ताराचंद शा० शीवलाल पानाचंद श्री देशभूषण कुलभूषण मुनि जिनके उपसर्गको बलभद्र श्री रामचंद्रने दूर किया था कुंथलगिरि पर्वतसे कुंथलगिरि क्षेत्रपर मोक्ष पधारे हैं। यह पहाड़ उत्तम मंदिरोंसे सड़कके लिये शोभित है। दक्षिणमें बारसी टाउन स्टेशनसे १००१) का १० कोस है। रास्ता बड़ा खराब है। बैलोंको दान। बहुत तकलीफ होती है। पिंपलगांवसे तो बहुत ही खराब है। रास्तेमें सावरगांवकी नदी व पर्वत बहुत कठिन है । गाड़ी छः बैल लगनेपर भी नहीं चलती। यहांसे भूम राज्यके वाकवड़ तक चढ़ उतर बहुत कठिन है। इतनी दूर सड़क बांधनेको १० या १२ हजारका अंदाज किया गया है व सर्कार भूमने चौथाई खर्च देना कबूल किया है Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy