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________________ समाजकी सच्ची सेवा । [३७९ भाव राख्या विना पोताना आशरे पोणोलाख रुपीयाने खरचे आपना स्वर्गवासी पिताश्री शेठ हीराचंद गुमानजीना स्मरणार्थे आप बांधी आपी समस्त जैन कोम उपर जे उपकार को छे ते पशंसनीय छे अने ते आपनी धर्मसहित ऊंचा धोरणनी इंग्रजी केळवणी आपवानी अपक्षपात लागणी प्रदर्शित करे छे. तेमन गुजरातमां अमारी दिगम्बरी जैन कोममां केळवणीने बोहोळो फेलावो करवा माटे भोजन, अभ्यास वीगेरे बधी सगवडो पुरी पाडनारी एक बोर्डिंगस्कूल आपना कैलासवासी भत्रिजा शेट प्रेमचंद मोतीचन्दना नामथी अमदावादमा रु० ४००००) ने खरचे उवाडी तथा कोल्हापुरमा एवीज सगवडवाली जैन बोर्डिगर्नु मकान पोताने खरचे बंधावी आपी स्वधर्मी भाईओ प्रत्येनी शुद्ध लागणी अंने धर्मकृत्यमां भारे उदारता प्रकट करी छे. मुंबई जेवी अलबेली नगरीमां कोई पण कोमने उपयोगी थई पडे तेवी एक भव्य धर्मशाळा बांधवा पाउळ दोढ लाख रुपीआ धर्मादा काढ्या छे ते आपनी गरीबो प्रति दयावृत्तिनी लागणी प्रकट करे छे. छेवटमां आपनी आवी आवी धर्म, दया, स्वधर्मी प्रति उत्तम सेवाने माटे तथा विद्या अने विद्वान् प्रति आपनी सदैव शुभ लागणीओ माटे अमो आपने आ मानपत्र आपतां श्री जगत्कर्ता (!) पासे अंतःकरणपूर्वक प्रार्थना करीए छीए के आप दीर्घायुषी थाओ ने परमात्मा आपने आवां उत्तम कार्या करवाने सदैव सन्मति आपो,. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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