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________________ ~ ~ ~ ३७८ ] अध्याय नवां । व २००) की पुस्तकें दी तथा अन्य उपस्थित सज्जनोंने ४००)की मदद दी। सर्व जैन मंडली सेठजीके उपदेश व विद्याप्रेमको देखकर अति प्रसन्न हुई और परम हर्षमें भरकर एक मानपत्र . प्रदान किया जिसकी नकल इस भांति हैं मानपत्र. झवेरी शेठ माणेकचंद पानाचंदनी पवित्र सेवामां. प्यारा धर्मबंधु, ____ आजे अमो बोरसद निवासी दिगम्बर जैनो आप साहेबनी स्वधर्म अने केळवणी प्रत्ये अत्यंत प्रीति देखीने आ मानपत्र आपवानी तक लइये छीये ते स्वीकारी आभारी करशो. श्री जयधवल, महाधवल जेवा प्राचीन ग्रंथोना जीर्णोद्धार करवामां आपे आगेवानी भाग लई सर्वे भाइओनी मददथी काम चलाव्यु छे तेथी आपनी धर्म शास्त्रज्ञान वृद्धिमाटे अत्यंत उत्कंठा जणाई आवे छे. आपे सूरत जेवा पौराणिक शेहेरमां जैनी यात्राल. ओनी उतरवानी सगवड माटे जैन हाल ' जेवू चन्दावाडी नामनुं मकान बंधाववा पाछळ रु० २००००) नो खरच करी जैन कोम उपर जे उपकार को छे ते आपनी जैन भाइओ प्रत्येनी उदार लागणी बतावे छे. आपणा जैनी भाईओ स्वधर्म अने राजकाज संबंधी, राजकीय, वैद्यकीय, शिल्पशास्त्र अने इंग्रजी गुजराती साहित्य वीगेरेनी ऊंचा दरज्जानी केळवणी मेळववामां अत्यावश्यक साधन जे बोर्डिंग स्कूल छे ते मुम्बई जेवा मोटा शहरमां श्वेतांबरी, दिगंबरीनो भिन्न Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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