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समाजकी सच्ची सेवा । [ ३७७ व्याज उपरके हेतुके विरुद्ध कभी खर्च न करना तथा इस बोर्डिंग को कभी उखाड़ना नहीं । यदि कदाचित कोई विद्यार्थी न आनेसे बोर्डिंग न चले तो बम्बई बो० के ट्रस्टी अपनी सम्मति से इसका उपयोग गुजरात के दिगम्बर जैन धर्म पालनेवालोंके अंदर विद्या प्रचारार्थ खर्च करें। इस प्रस्तावको सहर्ष स्वीकार किया गया ।
इसीके अनुसार ता० २२ अगस्त १९०४ को प्रातः काल अहमदाबाद बोर्डिंगके मकान में रावबहादुर लालशंकर उमियाशंकर के सभापतित्वमें सभा हुई । उस समय ३५०००) देकर नाम बदलनेका महत्व प्रगट किया गया । जयसिंहभाई गुलाबचंद मजि० आमोद, शा० हरजीवन रायचंद व पं० लालन आदिके भाषण हुए । मत्रीने पुस्तकालय के लिये अपील की तो २२५) रु० आये । एक गुम नाम भाईने १०) मासिक छात्रवृत्ति दी । रात्रिको १५००) का चंदा हुआ । गुजरातके बहुत भाई आये थे । इस सभा में रा० रा० लट्टे एम० ए० भी शरीक हुए थे । इन्होंने इंग्रेजी में भाषण दिया था। ता० २३ की रात्रिको रा० रा० रामचंद गांधीने बालविवाहके विरुद्ध जोरदार भाषण दिया जिसका श्रोताओं पर अच्छा असर हुआ । माता रूपाबाईको अपने पुत्रका नाम चिरस्मरणीय रहनेकी स्थापनासे बहुत आनन्द हुआ ।
अहमदाबादसे सेठ माणिकचंदजी बोरसद पधारे । वहां ता० २६ अगस्तको सेठ जेठालाल प्रेमानन्दकी ओरसे एक सार्वजनिक पुस्तकालयकी स्थापना सेठजीके कर कमलोंसे बड़ी धूमधामसे हुई | स्थापनकर्ताने १०००) नकद
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बोरसद में भ्रमण और मानपत्र |
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