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________________ ३७६ ] अध्याय नवां । डाली जायगी। तब सेठ माणिकचंदनीने महाराजको विनती की कि नीव रखे तब महाराजने चांदीकी थापीसे चूना रक्खा । इस तरह सेठ माणिकचंदने कोल्हापुरमें अति सन्मानके साथ बोर्डिंग बनानेका मर्त किया। इस उत्सवको पूर्ण करके सेठजी जो कि अब परोपकारमें ही अपना जीवन अर्पण कर चुके थे बम्बई होते हुए अहमदावाद आए। यहाँ ता० २२ अगस्तको बोर्डिंगका नामकरण संस्कार था। सेठ माणिकचंदजीने हीराचंद गुमानजी अहमदावाद बोर्डिंगको जैन बोर्डिंगकी मेनेजिंग कमेटीमें ता० २७ ३५०००)का दान । मार्च १९०४के दिन यह प्रस्ताव पेश किया कि नीचेकी शरतोंसे हम ३५००० ) कमिटीके आधीन करते हैं कि गुजरात दि० जैन बोर्डिंग अहमदावादका नाम फेर कर हमारे स्वर्गीय भतीजे प्रेमचंद मोतीचंदका नाम उसमें दिया जावे (१) २५०००) कायम फंडके लिये (२) ५०००) बोर्डिंगके मकानके लिये (३) ५०००) प्रेमचंदकी माता रूपाबाईके १२३४के उपवासके उद्यापनके हर्षमें। इस तरह ३५०००)का व्याज बोर्डिगके छात्रोंके रहने व भोजनादिमें खर्च हो । प्रबन्ध इस कमिटीके हाथमें रहे तथा यह कमिटी अपनी तरफसे एक आनरेरी सेक्रेटरी मनेजिंग कमिटीके मेम्बरोंमेंसे नियत करे। यह मंत्री वार्षिक रिपोर्ट बम्बई बोर्डिंगके मंत्रीको भेजे जो यहांकी रिपोर्टके साथ छपकर बाहर प्रगट हो। यह रकम गवर्नमेंट सिक्युरिटीवाले आचरियेमें या अच्छा माड़ा आवे ऐसे मकानमें रोकना। इस रकमका. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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