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________________ समाजकी सच्ची सेवा । सेठजी तुर्त बम्बई आए और भाई नवलचंदकी राय लेकर अनुमान २२०००) इस कोल्हापुर बोर्डिगकी कोल्हापुर बोर्डिंगकी बहुत सुन्दर इमारत बनानेके लिये खर्च करना इमारतका महूर्त। निश्चित करके पत्रव्यवहार करके ता० १५ अगस्त १९०४ को नीव डालनेके लिये तजवीज हुई । यह भी तय हुआ कि महाराज कोल्हापुरके हाथसे महूर्त हो । इसी तारीखपर बम्बईसे सेठ माणिकचंदनी, शोलापुरसे सेठ हीराचंदनी व अन्य ग्रामोंसे बहुत आदमी आए थे । शहरके अधिकारी व सभ्य पुरुष सब उपस्थित थे । ठीक २ बजे दोपहरको महाराज छत्रपति थो० एजन्ट सहित आ विराजे, तब मि० लढे एम० ए० ने इंग्रेजी में एक लम्बा भाषण दिया, जिसमें कहा कि यह द० म० जैन सभा अप्रेल सन् १८९९ में स्थापित हुई है, परंतु सन् १९०२ से .एक शिक्षण फंड १२०००) का किया गया और विद्यालय यहां स्थापन किया गया है। फिर इसको बोर्डिङ्गमें बदला गया उसमें अब ३० छात्र हैं जो हाईस्कूलमें पढ़ते हैं तथा फंड अब ४००००) का है इसमें से ६०००)का फंड रोकड़ा आया है जो बम्बईके प्रसिद्ध सेठ माणिकचंद पानाचंद जौहरीके यहां जमा है । बाकी रुपयेका लोग ४) सैकडेका व्यान देते हैं। बोर्डिङ्गके मकानकी बड़ी जरूरत है जिससे १०० छात्र रह सके, जो धर्मशिक्षा लेते हुए रहें। इसके लिये महारानने विक्टोरिया मरहठी बोर्डिंगके पास बहुत अच्छा स्थान दिया है जिसपर सुंदर इमारत बनाना सेठ माणिकचंदजीने कबूल किया है। उसकी नीव आज श्रीमन् महारानके द्वारा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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