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समाजकी सच्ची सेवा । [३७३ बैशाख वदी ३ सं० १९६० को सेठ चुन्नीलालने फल्टन
में पाठशालाकी स्थापनाके समय एक मनोफल्टनमें सेठ चुन्नी- हर भाषण देकर उसके लाभ बताए व एक लालका विद्याप्रेम । घड़ी प्रदान की । इसमें गांधी नाथारंगनीकी
तरफसे २५) मासिक ५ वर्ष तक देना स्वीकार किया गया था। सेठ माणिकचंदनीकी परोपकारार्थ सेवा जगतके जीवोंके लिये
____दृष्टान्त रूप है। द० महाराष्ट्र जैन सभाको शिक्षण फंडके लिये उन्नति देनेके लिये उसके शिक्षगफंडकी वसेठजीका भ्रमण । सूलीके लिये जैसे आपने स्तवनिधिकी सभामें
अपने भाषणसे बहुतसा रुपया एकत्र करा दिया वैसे इसके लिये भ्रमण करना भी स्वीकार किया । ता० २० मई १९०४ को सेठ माणिकचंदनी शिक्षण फंडकी वसूलीके लिये आनेवाले थे पर कार्य बाहुल्यके कारण न आ सके पर उसी रोज रा० रा० ए० बी० लट्ठ०, रा० रा ० हंजे ऑन० जनरल सेक्रेटरी; रा० रा० बलवंत बाबानी बुगटे बेलगांव आगए थे और अपने व्याख्यानोंसे तृप्त कर रहे थे। इतने में सेठ माणिकचंदनी अपने मित्र सेठ हीराचंदनीके साथ बेलगांव स्टेशनपर ता० १ जूनको पधारे । स्टेशनपर बड़े भारी समारोहके साथ स्वागत किया गया । होसुरमें श्री लक्ष्मीसेन स्वाजीके मठमें स्थान दिया गया। कोल्हापुर आदिसे भी कुछ लोग आए थे । एक दिन माणिकचंदजीके, दूसरे दिन रा० रा० दत्तात्रय आण्णा बुणे शोलापूरके सभापतित्वमें सेठ हीराचंदजीके दो व्याख्यान हुए। जैनधर्मकी बड़ी महिमा हुई।
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