________________
समाजकी सच्ची सेवा । [ ३६५ हीरालाल, जौहरी लल्लूभाई रायचंद, रा० ब० लालशंकर उमियाशंकर, रा० ब० हरगोविन्ददास द्वारकादास कांटावाला, प्रोफेसर आनंदशंकर बापूभाई ध्रुव, डॉ. जोसेफ बेनामिन इत्यादि भाई पधारे थे । सभापतिका आसन रा० रा० दीवान बहादुर अम्बालाल शाकरलाल देशाई एम. ए. एलएल. बी. ने ग्रहण किया था । पं० गोपालदासजीने विद्याभ्यासकी आवश्यक्ता एक प्रभावशाली व्याख्यान देकर बताई तथा लल्लूभाई प्रेमानंददास आदि वक्ताने बोर्डिंगका हेतु समझाया, फिर सभापतिने एक शिक्षापूर्ण भाषण देते हुए कहा-" जिस प्रकार यात्रा करनेवालों में जिनके पास पर्यटनकी पूरी २ सामग्री रहती है वह आगे और जो साधनहीन होते हैं व पीछे पड़ जाते हैं उसी प्रकार संसार यात्रामें जो जाति विद्या साधनसे हीन है वह अवश्य ही पीछे रह जाती है। इस संस्थाके स्थापन कर्ता उच्च शिक्षा प्राप्त विद्वान् नहीं हैं, परंतु वह " द्रव्यका सदुपयोग किस तरह करना चाहिये' इस विषयके सच्चे मर्मज्ञ जौहरी हैं आदि कहा।” इस समय कहा गया कि जो कोई सहायता करेंगे वह सहर्ष स्वीकार की जायगी। तब आकलजके भाईने १०) मासिक एक वर्षके लिये दिया । ८१ गृहस्थोंकी एक विजिटर्स कमिटी बनी । जो ३) वार्षिक दे वह इसका मेंबर हो सक्ता है । इसमें करमसद, इंडर, नहर, नरसीपुर, सोनासन, बड़ौदा,
ओरान बोरसद, अहमदाबाद, सूरत आदिके भाई मेम्बर हुए। बोर्डिंगका प्रबन्ध बम्बई बोर्डिंगकी मनेनिंग कमेटीके आधीन रहा । मंत्री
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org