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________________ + ३६४ ] अध्याय नवाँ | बोर्डिगका महूर्त अहमदाबादमें किया जाय ऐसा निश्चित करके गुजरात के भाइयों को बुलाने के लिये पत्र दे दिये । सेठ माणिकचंदजीका सदा ही यह कायदा रहा है कि पहले यह किसी नवीन कायको शुरू करके उसकी गुजरात दिगम्बर जैन परीक्षा करते थे। जब वह चल जाता था बोर्डिंग स्कूल - अह - तब उसको सदाके लिये ऐसा पक्का कर देते मदाबाद | थे कि वह कभी किसीके तोड़े न टूट सके । म्बई बोर्डिगकी स्थापना के समय इस नीतिको इसलिये नहीं काममें लिया कि बम्बई में जैनियों के छात्र अवश्य ही आवेंगे इस बातका सेठको दृढ़ निश्चय था। यहांके काममें संदेह था इसीलिये पहले सेठजीने ३ वर्षक निर्वाहके लिये ९०००) बोर्डिंग में दिये तथा २५ छात्रोंका प्रवन्ध करके एक मकान भाड़ेका लेकर बोर्डिंग खोलनेका महूर्त बड़ी धामधूमसे किया । इसमें ईडर, कलोल, सूरत, सोजित्रा, अंकलेश्वर आदि गुजरात के बहुतसे भाई पधारे थे उनमें मुख्य जयसिंहभाई गुलाबचंद्र, हरजीवन रायचंद आमोद, मोतीचंद ईडर पधारे थे । बंबई से पंडित गोपालदास बरैया, लल्लूभाई प्रेमानंददास परीख तथा सेठ माणिकचंदजी आए थे। मगर सुदी ६ सं० १९६० के प्रातःकाल प्रथम ही मंगल कलशके साथ नगरमें १ वरघोड़ा निकाला गया । फिर स्थानपर आकर श्री जिनवाणीकी पूजा करके एक सभाका अधिवेशन बड़े समारोह के साथ किया गया जिसमें अहमदाबाद के प्रतिष्ठित भाइयों को छपे हुए कार्ड द्वारा स्वयं सेठ माणिकचन्द कई भाइयोंके साथ जाकर निमं त्रण कर आए थे वे सत्र शामिल हुए जैसे- रावबहादुर केशवलाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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