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समाजकी सच्ची सेवा। तब भी आपको बुलाया था । आपसे साक्षात् मिलकर बहुत प्रीति प्रगट की थी तथा सुरतके बड़े मंदिरजीमें तब छपे हुए नोटिस बांटकर आम सभा की गई थी। उस समय इन्होंने ऐक्य पर बहुत अच्छा भाषण दिया था। सेठ हरजीवनको भी गुजरातके बालकोंको धर्म विद्याके साथ लौकिक विद्या दी जावे इसकी बड़ी चिन्ता थी तथा यह सेठजीको अपने पत्रों में इस त्रुटिको दूर करनेके लिये लिखा करते थे । अब सेठजीने इनको पृछा कि गुजरातमें एक बोडिग स्थापन करनेका हमारा विचार है जिसमें मेट्रिक तक छात्र रहकर पढ़ें, शेष कालेजकी पढ़ाई बम्बई बोर्डिंगमें रहकर करें तथा बड़ौदा, सूरत, अहमदाबाद ये तीन मुख्य नगर हैं इनमें से कौनसी जगह तुमको पसंद है, कारण सहित लिखो। तब सेठ हरजीवनने अहमदाबादको पसन्द किया कि यह बड़ा व्यापारी नगर है। सब तरह विद्याका साधन है। जिनके बालक रहेंगे वे बारम्बार आकर देख भी सकेंगे, क्योंकि मालके लिये उनको आना ही पड़ता है तथा यहां कालिज भी है, अच्छा है-मिले हैं आदि। सेठजीको यह बात बहुत पसन्द आई तब हरजीवन रायचंदको लिखा कि गुजरातके लोग अपने छात्रोंको भेनेंगे या नहीं, क्योंकि वे लोग ऐसा समझते हैं कि धर्मके खातेमें हम अपने लड़कोंको क्यों रक्खें ? तब आमोदके यह परोपकारी सज्जनने उत्तर दिया कि इसकी आप चिन्ता न करें तथा एक पत्र आमोदके दिगम्बर जैन पंचानका भिनवाया उसमें पंचोंने हिम्मतके साथ लिखा कि मुहूर्त्तके दिन हम १० विद्यार्थि
ओंको साथ लेकर आयेंगे, आप निश्चिन्त रहो। तब सेठजीको बहुत ही संतोष हुआ और तुर्त ही मार्गशीर्ष सुदी ६ को
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