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अध्याय नवाँ । डालना चाहिये। प्रस्ताव पांचवां यह पास किया कि जैन समाजकी स्त्रियोंमें धार्मिक व तदविरुद्ध सांसारिक शिक्षाका प्रचार किया जाय । ७ वें प्रस्तावमें पं० धन्नालाल उपदेशक विभागके मंत्री और सेठ प्रेमचन्द मोतीचन्द जौहरी सरस्वती भंडारके मंत्री नियत हुए । सभामें सेठजीके मित्र पालीतानेके मुनीम धर्मचन्दजी भी पधारे थे । आपने सत्रुनय तीर्थपर धर्मशालाकी सहायताके लिये लोगोंका ध्यान खींचा । सुदी १२ के दिन तीसरी बैठकमें भी हमारे सेठनी ही सभापति हुए । इस जल्सेमें पंडित गोपालदासने बम्बई में एक संस्कृत विद्यालयके स्थापित होनेकी आवश्यक्ता बताकर अपील की तो तुर्त १३८५)का चन्दा हो गया, जिसमें १०१) सेठजीने अपने पूज्य पिताके नामसे दिये । इस प्रति ष्ठामें जैनसिद्धांतके महत्वपर पं० गोपालदासजीके पब्लिक व्याख्यान बहुत प्रभावशाली हुए। प्रांतिक सभामें स्त्रीशिक्षाका प्रस्ताव पास होनेपर माघ सुदी
१२ दुपहरको ६०० स्त्रियोंने एकत्र हो प्रांतिक सभाके साथ स्त्रीसभा की। इसमें अंकलेश्वरकी ललितास्त्रियोंकी प्रथम सभा। बाई, शोलापुरकी रखाबाई, आकलूनकी
ज्ञानीबाई, बम्बईकी माता रूपाबाई और मगनबाईजीने धर्म, आचरण, मिथ्यात्व और कुरीति निवारणपर व्याख्यान दिये । मगनबाईनीने अनित्यपंचाशतके संस्कृत श्लोक सार्थ सुनाए, जैन कन्याशाला स्थापित करनेकी प्रेरणा की व पढ़ने पर जो दिया। अनेक स्त्रियोंने पढ़ना स्वीकार किया। इसमें अजैन प्रतिष्ठित स्त्रियां भी आई थी जो व्याख्यान सुनकर बहुत प्रसन्न हुई।
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