SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाजकी सच्ची सेवा । [ ३३९ सर्व एक हो गए। तब सेठजीने अपने खर्चसे उन सर्व भाइयोंको एक पंक्ति में बिठाकर भोजन कराया । धर्मके वात्सल्य गुगको बढ़ाकर आपने बड़ाभारी उपकार किया। शोलापुर जिलेमें बार्सी स्टेशनसे ३० मील आकलून ग्राम है। यहां २० घर दि० जैनोंके हैं। प्रसिद्ध आकलूजकी प्रतिष्ठा दानी व व्यापारी जिनवाणीभक्त सेठ नाऔर प्रान्तिक सभाका थारंगजी गांधीका यही जन्म ग्राम है। अधिवेशन । सेठ नाथारंगजीके ७ पुत्र थे । इस सयस सेठ शिवरामके सिवाय सेठ गंगाराम, गमचंद्र, आदि छहों भाई पुत्रादि सहित मौजूद थे । इनकी दूकाने पंढरपुर, बीजापुर, आकलन तथा बम्बई में हैं । एक जिन मंदिर पुराना था पर धर्मध्यान ठीक न होनेके कारण दूसरा मंदिर बनवाया था, इसकी जिनबिम्ब प्रतिष्ठाका उत्सव मिति माघ सुदी ९ सं० १९५७से १३ तक था। प्रतिष्ठाकारक शोलापुर पाठशालासे तय्यार हुए व वहीं प्रथमाध्यापक श्रीमान् पंडित पासू गोपाल शास्त्री थे । इसी अवसरपर बम्बई प्रांतिक सभाको निमंत्रित किया गया था, इस कारण ३००० के अनुमान नरनारी एकत्रित थे । बम्बईके जौहरी माणिकचन्द पानाचन्द सर्व कुटुम्ब सहित व पंडित गोपालदासजी आदि पधारे थे। प्रांतिक सभाकी तीन बैठकें हुई । प्रथम दिन सभापति रा० रा० मोतीचन्द मलूकचन्द कलुनकर फल्टननिवासी हुए । दूसरे दिन माघ सुदी ११ को हमारे चरित्रनायक सेठ माणिकचंदजी सभापति हुए । आपने चौथे प्रस्तावपर बहुत जोर देकर कहा किहम जैनियोंको जैन पडतिसे विवाह करानेका रिवाज Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy