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अध्याय नवां । ५०) मगनबाईको मगनभाई प्रतापचंद जैन लाइब्रेरी-सूरतके लिये
गु० वर्नाक्युलर सोसायटीका लाइफ मेम्बर बनाना । २२१६ कुल जोड।
इन दो सोसायटियोंका लाइफ मेम्बर बननेसे गुजराती भाषा- . की पुस्तकें सब पढ़नेको प्राप्त हो सकती हैं । मगनबाई विद्यामती हो इसी आशासे मातापिताने यह कार्य किया ।
इस भांति दानका संकल्प किया । मगनबाई रूपाबाईनी आदि रात्रिभर धर्मका उपदेश व णमोकार मंत्र सुनती रहीं । प्रभात होते ही चतुरबाईका आत्मा शरीरको छोड़कर चल दिया। इस समय बाईकी उम्र करीब ४० वर्षकी ही थी।
सेठ माणिकचंद और चतुरबाईका परस्पर प्रेम हमेशा ही रहा था इसलिये सेठजीका एक बड़ामारी सहारा जाता रहा । इस समय छोटी कन्या तारामतीकी अवस्था करीब ७ वर्षके थी। यह गुनराती शाला में पढ़ने जाती थी। सेट माणिकचंद और भतीजे प्रेमचंद अब धार्मिक व सामाजिक
कार्यों में और भी अधिक भाग लेने लगे। ४२ ग्रामोंका विरोध गुजरात देशमें ओरान प्रान्तके ४२ ग्रामोंमिटाना। के २५० घर हैं। इनमें कई वर्षोंसे विरोध
होनेके कारण परस्पर आहार व विवाह सम्बन्ध बंद था। ता० १० जनवरी सन् १९०१ को सेठ माणिकचंद
और प्रेमचंद प्रान्तिक सभाके उपदेशक मुन्नालाल राजकुमारको साथ लेकर ओरान आए, उस समय सर्व ग्रामवासी एकत्र हुए।
उवदेशकसे उपदेश कराया। फिर सेठोंने सर्व भाइयोंको इस तरह युक्तिपूर्वक समझाया कि उनका परस्परका विरोध मिट गया और
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