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संयोग और वियोग । मानने लगी । यह सब पूज्य परोपकारी सेठ माणिकचंदका ही प्रताप था जिससे आन मगनवाईनी दि० जैन स्त्री समाजमें बहुत ही स्तुत्य काम कर रही हैं और श्राविकाश्रम द्वारा अपने समान अनेक बाइयोंको आत्मरुचिवाली और परोपकारिणी बनानेका उपाय कर रही हैं।
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