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________________ २५४ ] अध्याय आठवाँ । इतना काम करोगे तो हम बहुत खुश हो जायगें और समाज के हेतुओं में कितने एक दरजे फायदा होगा। मेरे दूसरे रिपोर्ट की कितनीएक नकलों मैं आपके तरफ भेज देता हों । ता० ३-४-९३ आशा है के आपके तरफसे ज्यादा खुलासा जल्दी मिलेगा । चिकागो आपका सेवक यूनाइटेड स्टेट्स | जॉन हेनरी बेरोज सभापति ( जैन बोधक जून १८९३ ) इस पत्रको पानेके पहले भी पत्र आया था उसके अनुसार आत्माराजीने बम्बईके जैनियोंको लिखा था कि अपने जैनमतकी तरफसे दो आदमी वहाँ भेजना बहुत ज़रूरी है । एक संस्कृत और मागधी भाषा जानकार पंडित अमीचंदजी और दूसरे वीरचंद राघवजी बी. ए । तत्र ता० २५ मार्च सन् १८९३ को बम्बई जैन एसोसियेशन आफ इन्डियाने सेठ तलकचंद माणिकचंद्रके सभापतित्व में एक सभा की । उसमें सेठ माणिकचंद आदि कई दिगम्बरी भी गए थे। एसोसियेशनने भेजना निश्चय करके खर्च के RET लिये एक कमेटी नियत कर दी जो अहमदाबाद, भावनगर और सूरत के महाजनोंकी सलाह से सब बंदोबस्त करै । दिगम्बर जैनियोंकी सभा में विलायत जा ता० २ अप्रैलको सेठ हीराचंद नेमचंदजीके (जो सभाके कायमके उपसभापति थे । ) सभापतित्त्वमें दिगम्बर "जैनियों की सभा हुई । उपमंत्री पंडित गोपालदासजीने पेश किया कि दिगम्बरियोंकी नेका विचार | तरफ से एक या दो भाइयोंको चिकागो भेजना चाहिये । इस समय सेठ हीराचंदजीने बम्बई में भी दूकान कर ली थी और अधिकतर यहीं रहते थे तथा अप्रैल १८९३ से जैन बो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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