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________________ २३० ] अध्याय सातवाँ। सेठ माणिकचंद बहुत मिलनसार थे। समाचार पत्र देखते रहते थे। सं० १९४३ व सन् १८८७के फेब्रुजुबिलीपर बम्बई में आरी मासकी १६ तारीखको महारानी गौवध बन्द। कीन विक्टोरियाकी जुबिली भारत ___ वर्षमें बड़े धूमधामसे मनाई गई। उस दिन कोई भी मुसल्मानादि गौवध न करे ऐसी अर्जियाँ बम्बईके गवर्नरसाहबके पास भेजी गई । जैनियोंकी तरफसे अर्जी भिजवानेमें सेट माणिकचंदने बहुत प्रयत्न किया । इनका फल यह हुआ कि उस दिन किसीने भी गौवध न किया । मुसल्मानोंने इस बातको अच्छी तरह मान लिया ऐसा जानकर ता० २३ फेब्रुआरीको नामदार गर्वनरने प्रशंसाजनक यह प्रस्ताव प्रसिद्ध किया कि हिन्दू और पारसियोंकी इच्छानुसार मुसल्मान लोगोंने श्रीमती महारानी क्वीन विक्टोरियाके सन्मानार्थ जुबिलीके दिन जो गोवध न किया यह बहुत आनंदकी बात है । बम्बईके सर्व लोग परस्पर एकता रखते हैं यह तारीफकी बात है। ___ बम्बईमें बहिरामजी दीनसानी पांडे नामके गृहस्थ थे जो स्वतः मांसाहारके त्यागी थे तथा अन्य पारपारसियोंमें मांसाहा- सियोंसे मांसाहार छुड़ाते थे । सेठ माणिकरकी बन्दी। चंदकी इनसे मुलाकात थी । इस गृहस्थने अगस्त १८८६ में एक मांसाहाररहित भोजन दिया जिसमें २०० पारसी शरीक हुए । इनमें बहुतसे मांसाहारके त्यागी भी कुछ प्रयत्न करनेवाले थे । भोजनके पीछे सभा भी हुई थी उसमें सेठ माणिकचंदनी भी गए थे । बहिरामजीने अपने भाषणमें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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