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लक्ष्मीका उपयोग । [२२९ हिसाब सं० १९४४ कार्तिक सुदी १ से फाल्गुण । वदी ३० तक।
खर्च १५)। शिलक
१३२॥)। इमारत खाते ५८२%)॥ भंडार उत्पन्न १० )। शुभ खाते ३०-) शुभ खाते
i) जीवदया १४॥-) जीवदया खाते ८१) भावनगर ॥-) फुटकल
२२)। फुटकल __-)॥ केशर वास्ते
गोटी जवेर २०)॥ भावनगरसे
रजपूत उका २॥) गोठी जवेर खाते
रजपूत नबू
॥-) चांदवा बांधनेको लोहेके ६६५॥2)
सिकचे कराये
३०२॥=)। शिलक
श्री सेव॒जयकी यात्रासे लौटकर सेठजीने प्रेमचंद व अपनी
दोनों पुत्रियोंकी शिक्षा पर विशेष ध्यान बालकोंकी शिक्षा। दिया। फुलकुमरीके साथ मगनमतीजीको भी
गुजराती शालामें भेजने लगे । फुलकुमरीकी अपेक्षा इसकी बुद्धि बहुत तीक्ष्ण थी, पढ़ने में इसका मन भी अच्छा लगता था। शालासे सीख कर आवे उसे घर पर देखे । घर पर जो शिक्षक आता था वह भी बहुत भावसे तीनोंको शिक्षा देता था।
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