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लक्ष्मीका उपयोग ।
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कुरीति निवाणमें यहाँ तक सफलता प्राप्त की कि नवम्बर
१८८५ के अंक ३ रेमें १४ महाशयोंकी कुरीति निवारण प्रतिज्ञा प्रगट की कि हम ६० वर्ष पीछे आन्दोलनमें लग्न न करेंगे। इनमें कोठारी केवलचंद सफलता। परमचंद व जोतीचंद भाईचंद बारामती,
गुलाबचंद खेमचंद फटलन, नानचंद लक्ष्मीचंद वाटरकर आदि हैं। तथा अगस्त १८८६ के अंकमें ५९ महाशयोंकी प्रतिज्ञाएं प्रगट की कि हम द्वितीय लग्न इतनी उम्रसे आगे नहीं करेंगे। ६५ व ४० वर्षसे आगे लग्न न करेंगे ऐसी प्रतिज्ञा लेनेवाले इनमें ४ महाशय हैं जिनमें ३ आकलनके हैं, ४२ व ४५ वर्षसे आगे न करेंगे ऐसे प्रणकर्ता ४ हैं। ग्रन्थ प्रकाशनका काम भी शुरू करके काव्य प्रकाशिका
व सुभाषित छपवाए जिसकी मांग ग्रंथ प्रकाशन कार्य ब्रह्मसूरि शास्त्रीने अपने पत्र वैशाख
और ब्रह्मसूरी शुद्ध १२ शाके १८०७ में की है। उस शास्त्रीका पत्र। पत्रकी कुछ नकल यह है।।
,, आपका पत्र आया....चिकपेटाके मंदिरकू कवाड़ दो तयार होके धर दिया. बाकी कवाटका काम चलते है । तथा जिननाथपुर मंदरका काम चार महिना वायदा करके पांचशे पचास रुपये• गुत्ता दिये हैं और काव्यप्रकाशिका तथा सुभाषित छपाये सो पुस्तक दोनोकू जल्दी भेज देना ) हमारे पास बहुत ग्रंथ अपूर्व हैं । प्रत्यंतर अभावसे नष्ट होता है । यह सब ग्रंथ प्रत्यंतर करनेका तरतूद जरूर आप कर देना । बड़े पहाड़ऊपर शिडी
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