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अध्याय सातवाँ । निन मंदिर हैं। सर्कारसे इन मंदिरोके लिये १०००) वार्षिक अनुमान मिलता हैं। यहीं रत्नोंके बिम्ब व धवल, जयधवल व महाधवल नामके ग्रंथ हैं जिनकी रक्षाके लिये एक कमिटी है उसके मेम्बरोंके नाम हैं:
१-कोंडे पदमराज शेट्टी २-राना कुंनम शेट्टी ३-गुम्मण सेट्टी ४-नेमिराज उपाध्ये
इन चारोंके सामने इन रत्न बिम्बों वधवलादिग्रंथोंका दर्शन प्राप्त होता है। यह गाँव बंगलोर जिलेमें हैं जहाँ जैनियोंके २००० के अनुमान घर हैं। यहाँ मृत पुरुषकी मिलकियत भानजेको मिलती है ऐसा ही सर्कारी कायदा भी है जिससे जैनी बहुत दरिद्री हुए व नष्ट हुए। यह रिवाज इसके १००० वर्षके अनुमानसे है जिसको भूताल पांड्य राजाने शुरू किया था। अब इसको सब नापसन्द करते हैं । यह रिवान जैन उपायोंमें नहीं है। यह देश तौलव कहाता है। यहाँ उपाध्यायके घर १५ व जैनियोंके करीब २५ घर हैं । यहाँसे १० मील कारकल है । यहाँ १४ जिन मंदिर हैं । नेमिनाथ स्वामीके मंदिरमें जो शिलालेख है उसमें शाका १३७९ ईश्वर नाम संवत्सर कार्तिक मासमें भैरवरायाने बनवाया। शांतिनाथ मंदिर में लेख है सो उसे समस्त गुरुने शक १२७६ भाव संवत्सरमें फाल्गुण शुद्ध ५ बुधवारको बनवाया । चंद्रनाथ मंदिरको शालि० शक १५१४ विनय नाम संवत्सर भाद्रपद शुद्ध ३ रविवार बरमण्णा शेठीने बनवाया । यहाँ भी वेणूरके समान श्री गोमट्ट
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