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युवावस्था और गृहस्थाश्रम |
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करने लगे । इस समय सेठजीके चित्तमें बड़ा भारी उत्साह था क्योंकि अपने जीवनमें यह पहला ही पुत्रका विवाह था जो इनको करना था। सुरतकी स्थितिसे अब इनकी स्थिति बहुत बदल गई है, बम्बई में भी अब यह सेठोंकी गिनती में है तथा अपनी हूमड़ जातिमें तो यह धनाढ्यों में प्रसिद्ध हैं । इनका व्यापार ज्यों २ दिन बीतते जाते
चमकता जाता है | पुण्यात्मा पानाचंद और माणिकचंद जिस सौदे में हाथ डालते हैं लाभ उठाते हैं । सेट हीराचंदने एक रात्रि को अपने चारों पुत्रोंको एकत्र कर सम्मति ली कि इस विवाह में कितना रुपया खर्च करना चाहिये । जिस समय इस बातको छेड़ा गया | नवलचंद जिनकी उमर १७ वर्षकी थी और जिनको कुछ बाहरी चीजोंका शौक अधिक था यकायक कहने लगे कि पिताजी ! आजकल हम लोगों का नाम बहुत प्रसिद्ध हैं, हमें इस विवाह में खूब धन खरचना चाहिये जिसमें हमारी खूब प्रशंसा हो और जातिमें महत्पना प्रगटे । ईडर राज्यमें भी हमारी खूब ही प्रसिद्ध हो । इसकी बात सुनकर सेठ हीराचंद हंसे और बोले कि हमको बहुत उछलना कूदना नहीं चाहिये, हमें अपनी सादी चाल व सादा स्वभाव नहीं छोड़ना चाहिये । व्यापारका क्या भरोसा है ? आज यदि लाभ है कल हानि हो जाय तो क्या किया जायगा ? इससे हमको खूब विचार करके एक रकम इस निमित्त काढ़नी चाहिये और व्यापारमें किसी तरह की जोखम आ जावे सो काम नहीं करना चाहिये । सेठ पानाचंद बोले, पिताजी ! आप कोई शंका न करें। हमारे व्यापार में हानि की कोई आशंका नहीं है । आपके प्रतापसे जो माल अपनी
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