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________________ wwwmorror उच्च कुलम जन्म । १०७ .....mmmmmmmm amarrrrani जब यह गोदमें खिलानेलायक हुआ इसको देखकर हरएक प्यार करना चाहता था। ऊंचा माथा, बड़ा सिर, बड़ी चक्षु, सुडौल हस्त पग आदि देखनेसे माणिकचंद एक महान पुरुष होगा ऐसी कल्पना बुद्धिमानोंके चित्तमें हो उठती थी। जन्म पत्रसे भी इस बालकके ऐश्वर्यवान व यशस्वी होनेका पता लगता था। इसका शरीर भी बहुत सुन्दर और गठा हुआ था। खपाटिया चकलेका मकान जिसका चित्र पहले दिया गया है और जो अब भी मौजूद है मोतीचंद, पानाचंद और माणिकचंद पुत्र और मंच्छाकुमरी पुत्रीसे बड़ाही रमणीक मालूम होता था । इस समय मंच्छाकुमरीकी आयु ११ वर्षकी, मोतीचंदकी ५ और पानाचंदकी २॥ वर्षकी थी। हेमकुमरीकी तरह मंच्छाकुमरी भी घरके कामकाजमें प्रवीण कर दी गई थी। जब यह १२ वर्षकी हुई मंछाकुमरीका साह हीराचंदने इस कन्याका विवाह सुरत विवाह । निवासी वीसा हूंमड़ गंगेश्वर गोत्री ब्रीजलाल शीतलदासके पुत्र झवेरचंदके साथ कर दिया। झवेरचंद साधारण लिखा पढ़ा था पर बुद्धि तीव्र थी। अपनी मध्यम स्थिति होनेके कारण पिताके साथ व्यापार में जाता था। ____मंच्छाबाई और अवरचंदके संयोगसे संवत् १९२४ चैत्र सुदी ११ के दिन सेठ चुन्नीलालजीका जन्म सेठ चुन्नीलाल भया । यह चुन्नीलाल सेठ माणिकचन्द झवेरचन्दका पानाचंदके व्यापारमें मुख्य सहायक होनेके जन्म। सिवाय धर्म कार्योंमें बड़े ही उत्साही थे। आप भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र क.. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003979
Book TitleDanvir Manikchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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