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इस्लाम, ईसाई और पारसी धर्मों में आस्था
- डॉ. हेमन्त कमार शर्मा आस्था धार्मिक जीवन एवं व्यवहार का मौलिक और प्रमुख लक्षण है तथा धर्म का केन्द्र है। आस्था में विश्वास, श्रद्धा, निष्ठा, आत्म-समर्पण, वचनबद्धता एवं प्रेरणा समाहित हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से आस्था मानव-व्यवहार का भावात्मक पहलू है जो मानवीय संवेगों, अनुभूतियों, अभिरुचियों, भावनाओं तथा अभिप्रेरणाओं से निर्मित है। धार्मिक आस्था मनुष्यों में भक्ति उत्पन्न करती है। भक्ति में प्रवृत्त होने के लिए विनम्रता, कृतज्ञता, स्नेह, सौहार्द एवं त्याग की भावना का होना आवश्यक है। प्रार्थना द्वारा आस्था के केन्द्र के प्रति आत्म-अभिव्यक्ति प्रस्तुत होती है। प्रार्थना धर्म का क्रियात्मक स्वरूप है जो वाचिक, अवाचिक अथवा प्रतीकात्मक हो सकता है। प्रार्थना के अनेक प्रकार हैं जैसे उपासना, आराधना, साधना, स्तुति, पूजा, अर्चना, वन्दना इत्यादि । ये समस्त क्रियाएं आस्था के केन्द्र को सगुण या साकार अथवा निर्गुण या निराकार मानकर की जाती हैं। सगुण अर्थात् साकार मानने में इन क्रियाओं के निष्पादन के लिए नियत स्थल, समय एवं प्रविधि निर्धारित की जाती है। ___ विश्व के सभी धर्मों या सम्प्रदायों (मजहबों) का संदेश एवं लक्ष्य है- मानवता की रक्षा । विश्वबन्धुत्व एवं विश्वशान्ति जैसे सार्वभौमिक उद्देश्यों तथा लोककल्याण और मानव-प्रेम जैसी सार्वजनीन भावनाओं से अनुप्रेरित होकर ही ये विभिन्न धर्म युग-धर्म के रूप में प्रकट हुए हैं। इन धर्मों का विश्व में सह-अस्तित्व ही धार्मिक-समन्वयवाद का प्रथम सोपान है । एकता में अनेकता के साथ-साथ अनेक धर्मों में मूलभूत तत्त्व इस प्रकार से हैं - ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास, धर्माचरण की अनिवार्यता, धार्मिक सहिष्णुता, धर्मग्रन्थों के अनुसार संयम व नियम, विश्वबन्धुत्व एवं विश्वशान्ति, देवताओं, अवतारों और पैगम्बरों में विश्वास, पूजा-स्थल एवं उपासना प्रविधियां इत्यादि ।
विश्व के महान् धर्मों में अरब तथा पूर्वी एशिया के राष्टों में प्रचलित धर्मों को 'सेमिटिक' धर्म कहा जाता है, वे हैं - इस्लाम, ईसाई तथा यहूदी धर्म । आज विश्व में ईसाई मत के अनुयायियों की संख्या सर्वाधिक है । द्वितीय स्थान इस्लाम मतावलम्बियों का है। भारतवर्ष में हिन्दू (सनातन) धर्म के मानने वालों के पश्चात् सबसे अधिक इस्लाम के मानने वाले हैं। बौद्ध एवं यहूदी तो भारत में अत्यल्प या नगण्य ही हैं। जैन एवं सिक्ख समान संख्या में हैं। पारसी तो विश्व में सबसे अधिक केवल भारत में ही हैं । प्रसंगवश इस्लाम, ईसाई तथा पारसी धर्म के सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक विवेचना प्रस्तुत करना समीचीन रहेगा। ईसाई मत में धर्म-निष्ठा __ ईसाई धर्म एकेश्वरवादी है जिसके अनुसार परमपिता परमेश्वर सर्वशक्तिमान प्रभु हैं और सृष्टि से उनका अभिन्न शाश्वत सम्बन्ध है। सम्पूर्ण सृष्टि प्रभु की अनुकम्पा की दिव्य ज्योति से समुज्ज्वल एवं कृतार्थ है। प्रभु की भक्ति सार्वभौमिक एवं सार्वजनीन है। हिन्दू (सनातन) धर्म का भी यही परम सिद्धान्त है। प्रभु का स्वरूप कृपामय, करुणामय और प्रेममय निरूपित किया गया है। ईसाई धर्म के * सह आचार्य,मनोविज्ञान-विभाग,जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर (राज)
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