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________________ ३६८ जिनवाणी- विशेषाङ्क I श्रद्धा से ही मनुष्य ईश्वर की कृपा को प्राप्त कर सक और उसकी कृपा से ही पापों का नाश हो सकता है और जीवन में हर तरह से सम्पन्नता मिल सकती है यहूदी धर्म की संतान होते हुए भी ईसाई धर्म ने अपनी अलग पहचान बना ली और वह कई देशों का राज-धर्म ( State religion) बन गया । कैथोलिक मत का मुखिया पोप पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाने लगा । चर्च परिषदें खगोल-शास्त्र से लेकर मानव के सभी सम्बन्धों और कार्यों पर अदालती निर्णय देने लगी। बाद में ईसाई धर्म भी संप्रदायों में बंट गया जिनमें श्रेष्ठता (Supremacy) के लिए खूनी संघर्ष भी हुए। परन्तु इन सभी मतों में एक तत्त्व सामान्य रहा, वह यह कि जीसस क्राइस्ट में अटूट श्रद्धा और उनकी कृपा द्वारा स्वर्ग में सनातन सुखों की प्राप्ति में पूर्ण विश्वास। “केवल जीसस द्वारा मुक्ति” (Salvation through Jesus)", ईसाइयों का प्रचलित नारा है । इस्लाम में श्रद्धा का स्वरूप अरब कई जातियों या कुनबों में विभाजित थे, जिनके अपने कुल देव थे और वे उनको सर्वशक्तिमान तथा अपने राष्ट्र का संरक्षक समझते थे । अरब लोगों के बहुदेववाद और मूर्तिपूजा के विरुद्ध मोहम्मद ने विद्रोह किया। उसने यह दावा किया कि ईश्वर की पुस्तक 'कुरान' को देवदूत ने पढ़कर उसे सुनाया है और मानव जाति तक पहुंचाने की प्रेरणा दी है। उसने प्रेम का पाठ पढ़ाना शुरू किया जिसे उसके ही लोगों ने अस्वीकार कर दिया। तब उसने अपने लोगों को ईश्वर का 'सच्चाधर्म' सिखाने के लिए तलवार का सहारा लिया और बाद में अन्य देशों को भी इस्लामिक बनाने के लिए कई लड़ाइयां लड़ी। उसके अनुसार ईश्वर (अल्लाह) एक है । वह सृष्टि का रचयिता और पालक है । वह सर्वज्ञानी, सर्वशक्तिमान् और दयालु है । हालांकि मनुष्य को अपने किये का फल मिलता है, परन्तु अल्लाह में उसके सभी पापों को क्षमा करने की शक्ति है । जो अल्लाह में अटूट श्रद्धा रखते हैं और कुरान की राह पर चलते हैं, अल्लाह उनसे बहुत खुश रहता है और उन्हें कयामत पर स्वर्ग (जन्नत) भेज देता है जहां उसे सभी सुख मिलते हैं, जैसे ऊंचे ऊंचे महल जिनके नीचे नहरे बहती हैं । सुगंधित फूल, अंगूरों के बाग, मेवे, सोने के बर्तन, उत्तम रेशमी वस्त्र, बड़ी बड़ी आंखों वाली हूरें; अल्लाह उनसे खुश और वे अल्लाह से खुश रहती हैं । पृथ्वी पर अल्लाह ने कई अच्छे काम किये, जैसे वह आकाश और धरती को थामे रहता है । जिसे चाहता है बेटी देता है, जिसे चाहता है बेटा देता है । उसने नदियों से ताजा मांस और मोती दिए । खजूर, अंगूर, मेवे, मक्खी के पेट में शहद, जानवरों को ऊन और बाल आदि दिए । हर चीज के जोड़े पैदा किये । पानी बरसाया। खेतियां उगाई आदि अनेक कार्य किए। मरने के बाद काफिरों को अल्लाह जहन्नम (नरक) दिखाता है, जहां उन्हें आग का बिछौना और आग का ओड़ना, आग के कपड़े, सिर पर खौलता हुआ पानी, खाने के लिए पीप आदि मिलते हैं । कभी पुरस्कार, कभी यातना : जब अल्लाह मनुष्य की श्रद्धा से खुश होता है तो उन्हें कई तरह के पुरस्कार देता For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003977
Book TitleJinvani Special issue on Samyagdarshan August 1996
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1996
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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