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सम्यग्दर्शन : शास्त्रीय-विवेचन तुम गांव में जाकर किसी घर से एक मुट्ठी सरसों ले आओ। पर एक बात का ध्यान रखना। सरसों किसी ऐसे घर से लाना जिसमें कभी कोई मरा न हो । सरसों लाते ही मैं क्षण भर में तुम्हारे बच्चे को ठीक कर दूंगा।'
बुद्ध की बात सुनकर बुढ़िया तत्काल द्रुतगति से गांव में गई। वह घर-घर, गली-गली घूम गई। वह प्रत्येक गृहस्थी से कहती-'मेरे बीमार बच्चे के लिये एक मुट्ठी सरसों की आवश्यकता है।'
बुढ़िया की बात सुनते ही लोग सरसों लाते और उसे देने को उद्यत होते। बुढ़िया सरसों लाने वाले प्रत्येक गृहस्थ से पूछती-'सरसों लाये हो, यह तो ठीक है, पर यह बताओ कि तुम्हारे घर में कभी कोई मरा तो नहीं?'
प्रत्येक गृहस्थ कहता-'मेरे पिताजी इसी घर में मरे, दादाजी भी इसी में मरे और कुछ ही दिनों पूर्व मेरी बुढ़िया मां भी इसी घर में मरी है।'
कोई गृहस्थ कहता-'मेरी पत्नी इसी घर में मरी, मेरा पुत्र भी इसी घर में मरा।' किसी गृहस्थ ने कहा-'मेरा भाई इस घर में मरा ।' तो किसी दूसरे गृहस्थ ने कहा-'मेरा भतीजा इस घर में मरा।'
बढिया को कोई घर ऐसा नहीं मिला, जिसमें कोई न मरा हो । वह सारे गांव में घूम गई पर उसको बुद्ध ने जैसा बताया उस प्रकार की मुट्ठी भर सरसों देने वाला एक भी गृहस्थ कहीं नहीं मिला। ___अन्त में निराश हो वह बुढ़िया बुद्ध के पास लौटी और बोली-'महाराज! आप जैसी सरसों चाहते हैं, उस प्रकार की सरसों कहीं नहीं मिली, क्योंकि कहीं कोई एक भी घर ऐसा नहीं है जिसमें कि कभी कोई मरा न हो।'
बुद्ध ने कहा-'क्या कहा? ऐसा कोई घर नहीं, जिसमें कभी कोई न मरा हो? अहो ! वस्तुतः यह एक शाश्वत सत्य है कि जो जन्म ग्रहण करता है वह एक न एक दिन अवश्य मरता है। जो शरीरधारी है, उसका मरना सुनिश्चित है। तेरा बच्चा जन्मा था। अब उसके १०० वर्ष पूरे हो गये।'
वह बुढ़िया वैद्यों के कहने से नहीं समझी थी, पर जब उसने यह देखा कि किसी गांव में, किसी शहर में, किसी देश में कोई ऐसा घर नहीं जहाँ कोई नहीं मरा हो तो उसकी समझ में यह बात आ गई कि उसका पुत्र मर गया है। अविनश्वर की उपेक्षा
हमारा सम्यग्दर्शन यही कहता है कि यदि हमारी दृष्टि निर्मल हो जाय, यदि यह श्रद्धा, विश्वास हो जाय कि टिकने वाली अविनश्वर चीज मेरी है तथा विनष्ट होने वाली चीजें मेरी नहीं हैं तो प्राणी को सम्यग्दर्शन की प्राप्ति में कोई देर न लगे। मैं कहने वाला हूँ, आप सुनने वाले हैं, हमारे इस पिण्ड में जो विराजमान है, वह आत्मा कभी मरने वाला नहीं है।
वह अविनाशी आत्मदेव ही अजर-अमर, शाश्वत एवं सदा-सर्वदा टिकाऊ रहने
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