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________________ ३८६ अपरंच घासीलालजी महाराज ने मालूम कराई के महासुद रविवार को शान्ति मनाई जावे । लिसाजा लिखो जावे है के महासुद १ इतवार को आमतोर से सब जगह अगता रखाया जावे । और दस मिनीट तक पूर्व दिशा की तरफ मुहकर सब लोग ॐ शान्ति करें और बकरे भो अमरिये कराये जायें । पट्टे के सब गामों में इसका इन्तजाम करा देवें सं. १९९९ महासुद १ "श्री एकलिंगजी" "श्रीरामजी' ता. २४ ६ ४० नोटी फीकेशन अज पेशगाह राज श्री महेकमेखास श्री दरबार मुल्क सदस्त मेवाड मवरखा जेठ सुदी १४ संवत् १९ ९६ नं १० ९ ३७ फी. एण्ड पो० दरख्वास्त ___ चोईसा कन्हैयालालजी वाके नेठ सुदी १४ समस्त हाल पेश हुई कि पूज्य मुनिश्री महाराज घासीलालजी म. की आज्ञा है कि एक पखवाडा तेरा दिन का है इसकी शान्ति होना जरूरी है। इसलिए असाढ वद ५ सोमवार ता. १४ जुन सन १९४० इस्वी को सारे मेवाड में अगता रखाया जावे इसके बाबत हुक्म फरमाया जावे। लीहाजा हर खास व आम की ईतला के लिए लिखा जाता है कि हस्व दरख्वास्त शहर उदयपुर व तमाम मेवाड में अपाड विद ५ ता० २४ जून सन हाल को जीहहिंसा बंध कर अगता रखा जावे व शान्ति जाप किया जावे। फक्त-१९९६ का जेठ सुद १० "श्री एकलिंगजी" श्री रामजी । ४ । ६ । ४१ नम्बर १०३४३ बे० सु० १५ १५९७ डिप्टी कलेक्टर व ठिकाने जात उमरावान के नाम लिखने का मसविदा व सीलसिले हुक्म नम्बर १०८६७ मवरखा जेठ सुदि १४ संवत १९९५ लिखी जावे है कि गुरजीस्ता माफिक इस साल भी अषाड वि ५ तारीख १४ जूने १९४१ वहाँ तालुक कुल मवाजियात में जीवहिंसा का अगता पलाया जावे व ॐ शान्ति जाप के लिए डुंडी पीटबा दी जावे फकत "श्रीरामजी" पूज्य श्री घासीलालजी महाराज की पवित्र सेवा में मालासेर माताजी और जगत माताजी के ठिकाने से हरसाल दो पाडे चढते थे वे अब बन्द कर दिये हैं । अब कभी भी नहीं चढाये जायेंगे सं. १९९८ पोस सुदी ३ दः शार्दूलसिंह जगत यह पट्टा पूज्यश्री घासीलालजी महाराज को जगत जैन पंचों के मोके पर काम आने के लिये दिया । दः शाह मोहनलाल परोत मुकाम चासदा का सं. १९९९ का पोष सुदी ५ मंगलवार नम्बर २३५ ॥श्री एकलिंगजी ॥ ॥श्रीरामजी ॥ व नाम कलेक्टर उदयपुर भीलवाडा, राजसमुद्र भोम आई, जी. पी व ठिकाने जात कलमबंदी अपरंच देश की शान्ति के लिए आसोज सुदि १४. ता० २३ अक्टूम्बर सन हार को वहां तालुके खास कसबों में अगता पलाया जावे और उसदिन लोगों को ॐ शान्ति का पाठ करने यत कर देवें । फकत श्री एकलिंगजी ॥श्रीरामजी ॥ १५६२४ ता. १६-९-४२ ब नाम सिटी पुलीस देश की शान्ति के लिए भादवासुदि ६- ता० १९ सिताम्बर सन हार को शहर में अगता रखाया जावे व ॐ शान्ति का जप करने के लिए जरिये ड्योण्डो सोहरत करादी जावे । फक्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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