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________________ जनता को इस आयोजन से बडो प्रसन्नता हुई । देलवाडे से आप नाथद्वारा पधारे । नाथद्वारा के मुख्य श्रावक वकील मन्नालालजी श्रीमान् कन्हैयालालजी सुराणा, वकील कालीदासजी, आदि भक्तजनों के सुप्रयत्न से एक दिन समस्त नाथद्वारे में अगता रखा गया । 'ईश्वर प्रार्थना' की गई । यहाँ के महन्त संस्कृत पाठशाला के पंडित एवं विद्यार्थी, राज्य के उच्च अधिकारी, नगर के सन्मान्य नागरिक जनता प्रवचन में बडी संख्या में उपस्थित हुई । पूज्यश्री ने हजारों की संख्यामें जनता को उपदेश दिया । इस प्रकार का सुन्दर आयोजन नाथद्वारे के लिए प्रथम ही था । नाथद्वारे की जनता पूज्यश्री की विद्वत्ता से बडी प्रभावित हुई। यहाँ से बिहार कर बागोल, परावल मोलेला, मचीन, खमनोर, सेमल, सलोदा, वाटी, कदमाल, अमराजीकागुडा, घोडच, कडोयाँ लोसिंग आदि गांवों को पावन करते हुए आप जसवंतगढ पधारे। इन सभी गांवोंमें पूज्यश्री के उपदेश से अगते पाले गये थे । उस दिन सर्व आरंभ समारंभ के कार्य सारे रोज बन्द रखकर ईश्वर की प्रार्थना की गई । ईश्वर प्रार्थना पर पूज्यश्री के प्रवचन हुए। . पूज्यश्री ने मेवाडके प्रान्त गांव नगरों में विचर कर महान उपकार किये । सर्वत्र स्थानीय नागरिकों ने राजा, महाराजा, राव, राणा एवं जागीरदारोंने विविध पट्टे कर जिसमें सर्वत्र जीवहिंसा बन्द करबाने का आदेश जारी किये गये थे वे पूज्यश्री को भेट किये थे । उनका उल्लेख समय समय पर किया गया । और उनकी पतिलिपियां भी यथास्थान दी गई । जो अवशेष पट्टे मिले हैं उनकी प्रतिलिपियां आपकी सेवा में प्रस्तुत है। वे प्रतिलिपियां ये हैं से. नं. ६ "श्री एकलिंगजी” श्री रामजीता . ६।४। ३८ सिध श्री श्री सीटी पुलिस जोग राज्य मेहकमा खास अपरंच चेत सुद १२ गुरुवार के दिन तमाम मेवाड में शान्ति की प्रार्थना होवे तथा वी दिन अगतो पलावा की पूज्यश्री घासोरामजी महाराज श्रीमान् श्री जी हुजूर दाम इकबाल हू ने मालूम कराई । जिस पर अर्ज मंजूर फरमाईजाकर लिखी जावे है कि चेत सुदु १२ के दिन शहर में भी अगतो पलायो जावे और सब लोग दस मीनीट के वास्ते पंचायती नोहरे में इकठा होकर सर्व ॐ शान्ति, ॐ शान्ति की प्रार्थना करें । सो इस माफिक तामिल करावें । १९९४ चैत सुद ६ ता० ६ । ४ । ३८ “श्रीनाथजी, श्रीरामजी ता. ११ । ५। ३९ नकल हुक्म अदालत ठिकाना सरदारगड़ मवरखा जेठ वद ८ ता० ११-५-३९ ईस्वी० जैन श्वेताम्बरी बाईस संप्रदाय के पूज्य महाराज साहब घासीलालजी म. मनोहर व्याख्यानी मुनि मनोहरलालजी, तपस्वीजी महाराज मांगीलालजी व पं. मुनि श्री कन्हैयालालजी म. वगेरा ठाणा ६ से जेठवद ७ को यहाँ पधारना हुआ । और आज ॐ शान्ति का व्याख्यान बडे आनन्द से हुआ । इसलिए आज की तारीख पट्टे हाजा में अगता रखाया गया और तालाव मनोहरसागर में बगर इजाजत शिकार नहीं खेलने व मच्छिये नहीं मारने की रोक की गई । और बडे बीडे का घास कट जाने के बाद मुह चार घास मुकाते दिया जाया करता है । वह आयन्दा मुकाते नहीं दिया जाकर मवेसीयात को पुण्यार्थ चराने की ईजाजत दी गई। लिहाजा हुक्म असल तामीलान कचहरी में भेजा जावे ओर लीखा जावे के पूज्य महाराज व मनोहरलालजी म. यहाँ पधारे उस रोज पट्टे हाजा में अगता रखा जावे । ___ मुहुचारा घास मुकाते न देकर पुण्यार्थ मवेशियान को चराया जावे । तालाब मनोहर सागर में बगेर इजाजत कोई शिकार नही खेलने व मछीय नहीं मारने पावे इसका इन्तजाम कर देवें फक्त हुक्म कचहरी नं० २४ ५३ नकल ईतलान पूज्य महाराज साहब के पास भेजो जाकर वास्ते तमोल थाने में लीखा जावे। असल दर्ज मुतफर कात हो । ता० ११ । ५ । ३९ मु० ०० नन्दलाल सोंगवी यहां महोर छाप है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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