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हार कर दिया। कलेक्टर साहब करीब दो मील तक पूज्य महाराजश्री को पहुंचाने आए । मार्ग में प्राकृतिक सौंदर्य देखने योग्य है । जयसमुद्र से लकडवास तक का प्रांत मेवल के नाम से प्रसिद्ध है । यह सारा प्रदेश पहाडों में बसा हुआ है । रास्ता भी बड़ा कष्ट दायक है । इस प्रदेश में स्थानक वासी जैनों की अपेक्षा दिगम्बर समाज के घर अधिक है । जयसमुद्र से झर अदबास होते हुऐ पूज्यश्री जगतगांव में पधारें । यहां के ठाकुर साहब श्री शार्दूलसिंहजी साहब बडे सेवाभावी एवं धर्मानुरागो सज्जन हैं । आपने रात्रि में पूज्य श्री का प्रवचन सुना । और अनेक धार्मिक प्रश्नोत्तर किए। समाधान पाकर इन्होंने बडा हर्ष प्रगट किया। पूज्यश्री के उपदेश से इन्होंने ॐ शान्ति प्रार्थना दिवस मनाने का निश्चय किया । तदनुसार ता० २२१२-४१ को अगते के साथ सारे गाँवमें ॐ शान्ति की प्रार्थना करने का हुक्म फरमाया। गांव के बाहर चामुण्डामाता के मन्दिर के पास विशाल प्रांगन में गांव की जनता एकत्रित हुई । श्री ठाकुर साहब भी सपरि वार पधारे । पूज्यश्री अपनी मुनि मण्डली के साथ पाटे पर बिराजे । ऐकत्रित जन समुह के बीच पूज्य गुरुदेव ने ॐ शान्ति की प्रार्थना पर मार्मिक प्रवचन प्रारंभ कर दिया । आपने अपने प्रवचन में ईश्वर का स्वरूप और उनकी महत्ता को मार्मिक भाषा में समझाया । फलस्वरूप ठाकुर साहब ने जीवदया का पट्टा लिखकर पूज्यश्री की सेवा में भेट किया-प्रतिलिपि इस प्रकार हैं
श्रीरामजी आज से पूज्यश्री घासीलालजी महाराज की पवित्र सेवामें मालासर माताजी और जगत माताजी के ठिकाने में हरसाल दो पाडे चढते थे वे अब बंद कर दिये हैं । अब कभी भी नहीं चढाये जावेगे ।
१९९८ शार्दूलसिंहजी जगत ( ठाकुर साहब ) जगत गांव में दो दिन तक बिराजकर पूज्यश्री ने अपनी शिष्य मंडली के साथ बिहार कर दिया । जगत के ठाकुर साहब ने रास्ता बताने के लिये एक सिपाही को साथ भेजा। कारण रास्ता पहाडी होने से खूब विकट था । रास्ते में नुकीले कंकर व कांटों के कारण चलने में बड़ा कष्ट होता था । चान्दा होते हए पूज्यश्री लकडवास जो उदयसागर तालाब के पास बसा हआ एक गांव है। वहाँ पधारे । यहाँ पधार ने पर उदयपुर निवासियों को मालूम हुआ कि पूज्यश्री तो विकटमार्ग से बिहार कर सात मील की दूरी पर लकडवास पधार गये हैं, खबर सुनते नी चारों ओर हर्ष और आश्चर्य छा गया । इधर महाराणा साहब भी बार बार अपने आदमियों द्वारा तलाश कर ही रहे थे । तथा उन्होंने इसी कार्य के लिऐ चोवीसाजी साहब को मोटर दे जयसमुद्र भेजे । वहाँ पूज्यश्री के दर्शन न होने से वापस उदयपुर आकर पुनः तलाश के लिए ज्यों हो बम्बोरा अन्य श्रावकों के साथ जा ही रहे थे कि वहाँ उनको पूज्यश्री के लकडवास पधारने की खबर मिली । खबर मिलते ही श्रावक गण एवम् चौविसाजी साहब महागणा साहब को खबर देने सीधे नारमगरे दरबार की सेवामें पहुँचे । लकडवास में शान्ति प्रार्थना
ता० २५-१२-४१ उदयपुर पुलिस थाने ने पूज्यश्री की आज्ञा से अगते पलाये और ॐ शान्ति प्रार्थना में शामिल होने के लिए डयोंडी पिटवाई, तदनुसार गांव बाहर वटवृक्ष के नीचे सारा गाँव ॐशान्ति की प्रार्थना करने के लिए सम्मलित हुआ । उदयपुर से भी बडी संख्या में लोग वाहनों में आरूढ होकर प्रार्थना में सम्मिलित हुए । ॐ शान्ति की प्रार्थना के बाद पूज्यश्री ने अपना मांगलिक प्रवचन प्रारंभ किया। आपने प्रवचन में मानव जन्म की दुर्लभता और ॐ शान्ति की प्रार्थना का महत्त्व समझाया । पूज्यश्री के प्रवचन से श्रोताओं ने अच्छे त्याग प्रत्याख्यान किये। दूसरे दिन पूज्यश्री अपनी शिष्य मंडली के साथ बिहार कर मटूण पधारे ।
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