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पुरा संजेलो कुशलगढ दाहोद बांसवाडा आदि गांवों से अनेक श्रावक श्राविकाएँ दर्शन के लिये प्रतिदिन आते थे। पास के गांव के प्रति दिन हजारों की संख्या में किसान, भील आदि व्याख्यान श्रवन के लिये आते रहते थे। इस अपार मानव मेदनी को देखकर गोधरा पुलिस सुप्रिटेन्ड साहब ने स्थानिक पुलिस पर व फौजदार साहब को रोजाना रात दिन दर्शनार्थियों की बदमाशों से सुरक्षा के लिए पोलिस का बन्दोवस्त करना पडा । सर्वत्र पुलिस को यात्रियों की सुरक्षा के लिए सावधान कर दिया और उन्है ड्युटि पर तेनात कर दिया गया । इस प्रकार नदी की बाढ की तरह दर्शन के लिए आई हुई मानव मेदनो का स्वागत करने के लिये रात दिन सर्व चातुर्मास कमेटीयाँ अपने अपने कार्य में लगी रहती थी । मेघदेव की भी पूर्ण कृपा दृष्टि थी । कारण कि बादलों ने अपना जमाव शान्ति प्रार्थना के दिन से ही कर रखा था । उसी रोज रात को जोर से बारिष हुई जिससे स्थानीय श्रीसंघ के हृदय में डर बना रहता था कि जोर से वर्षा हुई तो कहीं मेहमानो को तकलीफ न हो जाय । मगर जहाँ तक दर्शनार्थी 'लिमडी में रहे वहाँ तक नित्य बादलों का ममाव भी रहता था । एक एक फरलांग की दूरी पर वर्षा भी होती थी मगर गांव में मनुष्यों को अडचन पैदा हो ऐसी वर्षा न हुई । मानो इतनी मानव मेदनी को आती देख मेघदेव भी इस उत्सव में सम्मलित होने के लिए उत्सुक दृष्ठि गोचर हो रहा था । तथा आगन्तुक दर्शनार्थियों को धूप से बचाने के लिए अपना विशाल छत्र खोल दिया हो कहने का तात्पर्य यह है कि इस पुनित प्रसंग को सफल बनाने के सर्व त्र सफल प्रयत्न हो रहे थे। __इस धार्मिक प्रसंग पर सम्मलित होने के लिए भी हिन्दवाकुल सूर्य महाराणा साहेब आर्यकुलकमल दिवाकर बहादुर मेवाडाधीश ने अपनी तरफ से मर्जीदान श्रीमान् दरोगाजो साहब श्री कनैयालालजी चौवीसाजी और भैरुलालजी चौवीसाजी को पूज्यश्री एवं तपस्वी मुनि के दर्शनार्थ भेजे गये । इस अवसर पर श्रीमान् खवासा महाराज साहब श्री दिल्लोपसिंहजी साहब ऑफ झाबुवा स्टेट कौन्सिल प्रसिडेन्ट साहब भी पधारे हवे थे। आपको आमन्त्रण देने के लिये यहाँ से श्रीमान श्रीचन्दजी चोपडाजी ने खवासा दरबार को यहाँ पधारने के लिये तैयारकर टेलीग्राम द्वारा श्रीसंघ को खबर दी कि आज ता० ३-९-४१ को सायंकाल ४ बजे के फास्ट से दाहोद स्टेशन पर उतरेंगे अस्तु लीमडी ठाकुरसाहब ने तथा स्थानिक संघ ने स्वागत की तैयारियां की । श्रीमान कुशलगढ महाराजकुमार साहब श्री भारतसिंहजी साहब भी उसी रोज पधारे ।
__ आप दोनों साहिबानों के स्वागत के लिये स्थानिक सकल संघ आये हुवे व महेमानों के साथ दाहोद रोड पर उपस्थित हुआ । एक मीलतक जनसमूह ही जन समूह दिखाई देता था । सर्व जनता उत्सुकता के साथ आती हुई मोटरों को ध्यान से देखती थी कारण की अन्य महमानों को लाने के लिए मोटरे दौड धूप कर रही थी । इधर ठीक ४ बजे के फास्ट से खवासा दरबार दाहोद स्टेशन पर उतरे जहाँ दाहोद तथा लीमडी के अग्रेसरों ने तथा वालीयन्टरोंने स्वागत किया। श्रीमान् महाराजा साहब दिन को एकही समय एक ही स्थान पर भोजन पानी ग्रहण करते हैं । जिससे दाहोद निवासी वकिल सा० श्री रामचन्द्रजी पाण्डेय ने अपने यहाँ उनकी व्यवस्था की । इस कारण लीमडी आने में दरबार को देर हुई तथापि जनता ज्यों की त्यों स्वागत के लिए खडी ही रही
रात को आठ बजे महाराजा साहब की मोटर भू भू आवाज करतो आकर खडी हई। श्री लीमडी ठाकरसाहब के कुंवरसाहब ने तथा श्रीसंघ ने स्वागत किया। श्री महाराजा व कुशलगढ राजकुमार को हार तोरा पहनाये । फिर सरघस आकार में दोनों साहिबान को लेकर जयध्वनि के साथ उपाश्रय की ओर प्रयाण किया । लीमडी की जनता ने स्थान स्थान पर महाराजा का स्वागत किया गया था। मेदनी खूब ही उलट पडी। केप्टन साहब ने वालीयन्टरों की कतार बान्ध दी। आगे आगे महाराजा व महाराज कुमार चलते थे पीछे पीछे
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