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मेघ की भाति सारा जन समूह आ रहा था । बीच बीच में ग्यास के हण्डे प्रकाशमय अपने माथे पर लिये हुए मजूर लोग चल रहे | आखरी महाराजा पूज्य आचार्य महाराज श्री व तपस्वी श्री के दर्शनार्थ उपाश्रय के भव्य मण्डप में आये । मण्डप सारा मानव समूह से भर गया । यहाँ तक की स्थानाभाव के कारण जनता मण्डप के बाहर भो चारों ओर सैकडों की संख्या में खडी थी । जनता की बडी भारी भीड होने से बडा शोरगुल मच रहा था । स्वयंसेवक ध्वनि विस्तार से लोगों को शान्त कर रहे थे । दरबार पूज्यश्रीका अभिवादन कर पूज्यश्री के सामने बैठ गये ओर वार्तालाप करने लगे । करीब एक घंटे तक पूज्यश्री के साथ दरबार ने वार्तालाप किया । दरबार ने पूज्यश्री से कहा आपतो साक्षात् भगवान की मूर्ति हो । आप के प्रेमने मुझे यहाँ तक खींच लाया । पूज्यश्री के साथ और भी धार्मिक विषय पर विविध प्रश्नोत्तर कर उनका पूज्यश्री से उत्तर सुना । वार्तालाप के बाद दरबार ने बडा सन्तोष व्यक्त किया । पूज्यश्री को अभिवादन कर दरबार ठाकुर साहब के महल में पधार गये । इस अवसर पर दाहोद मामलतदार साहब श्री नौतमलाल सोमेश्वर ठक्कर आये आपने दाहोद तालूके में ता० ३-९-४१ को अगता याने पाखी पालने के लिये अपने नाम से विज्ञापन पत्र निकालकर तलाटीयों द्वारा स्थान स्थान पर आवेदन पत्र भेजे ।
श्रीमान् झालोद माहालकरी साहब श्री रामप्रसादजी चन्दुलालजी वंशी पधारे । आपने भी ता० ३१ ८-४९ को झालोद तालुके में अगता यानी पाखी पालने की विज्ञप्ति निकाली थी । श्रीमान लीमडी ठाकु र साहब श्री दीलीपसिंहजी साहबने ता० ३१-८-४१ की शान्ति प्रार्थना में पूर्ण सहयोग दिया आगन्तुक महमानों के लिये आवश्यक चीजों को सहर्ष लेजाने के लिये आज्ञा दी थी ।
श्रीमान बिबाणी गोलाणा ठाकुर साहब श्री शंभुसिंहजी साहब भी पधारे । आपने अपनी रियासत में ता० ३-८-४१ को हुक्म द्वारा अगता पलाकर यहाँ के संघ को हर प्रकार की मदद दी । उपरोक्त महाभावों के अलावा निम्न सद्गृहस्थ अधिकारी वर्ग आया जिनके उल्लेखनीय नाम ये हैं- । श्री पोलिस इन्स्पेक्टर साहब झालोद, अहवलकारकून जीवनलालभाई झालोद, दाहोद तथा झालोद तालुके के सर्वेयर साहब जनरल एकाउन्टर श्रीमानकचन्दजी राठोड झाबुआ, श्री रामचन्दनी दयाशंकर पंडया वकील, कतवारा गांव के नायक मानसिंहजी देवीसिंहजी और आस पास के गांव के छोटे छोटे नागीरदार भी दर्शन के लिये उपस्थित हुए ।
तपश्चर्या का पूर्ति दिवस -
इस प्रकार राज्य कर्मचारी गण एवं श्रावक श्राविकाएं तथा आस पास के गावों से आये हुए खेडूत वर्ग से लीमडी की अपूर्व शोभा दिखाई देती थी । जहां देखो वहां मनुष्यों के झुंड के झुंड दिखाई देते थे । कोई भी गली और मकान नजर नहीं आता था कि जहां बाहर के आये हुए मनुष्य दिखाई नहीं देते हों । अस्तु इस प्रकार जन समूह से लीमडी चिकार भर गई थी ।
भादवासुद १४ ता० ४-९-४१ के दिन सुबह से नरनारियों से उपाश्रय, गेलरी, हाल, मण्डप चारों मकानों के तिबारे वो जाहिर मार्ग आम जनताओं से खचाखच भर गया । चारों तरफ दिखाई दे एसी जगह पूज्यश्री व अन्य मुनियों को बिराजने के लिये तख्ते लगाये गये । अधिकारियों को बैठने के लिए अलग व्यवस्था की गई । स्वयंसेवक गण व्यवस्था रखने के लिये तन मन से जुट गया था । सर्व सभासदों के लिये बिछोंने बिछाये गये । विशेष छाया के लिये व्यवस्था की गई यानी सर्व प्रकार की सुन्दर व्यवस्था रखी गई । ठीक आठ बजे व्याख्यान शुरू हुआ । पहले छोटे सन्तोंने मांगलिक प्रवचन किया । तत्पश्चाद् पूज्य श्री ने लाक्षणिक शैली से अपनी अमृतमयी वाणी द्वारा आई हुई अपार मेदनी के हृदय को पवित्र किया । पूज्य श्री ने उपस्थित विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए फरमाया-" संसार में
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