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________________ ३४२ शहर में पधारे । श्री झालोद महालकारी साहब प्राणशंकर गणपतलाल दवे एक खुशमिजाजी तथा विचक्षण पुरूष है । उन्होंने पूज्यश्री के उपदेश से ॐ शान्ति की प्रार्थना अगते के साथ कराने का आदेश सुनकर खुद माल कारी साहब ने अपने नाम से विज्ञप्ति पत्र छपवाकर झालोद तालुके के प्रत्येक गांव में भेज दिये । दुसरी पत्रिका श्रीसंघ ने अपनी तरफ से छपवाकर चारों तरफ ॐशान्ति प्रार्थना के दिन किसी भी प्रकार की जीव हिंसा तथा आरम्भकार्य बन्द रखने के लिये भेज दी। रमणीय माछन नदी के किनारे चेत्र कृष्णा ९ एवं ता० २९-३-४१ के दिन ठाकुर साहब श्री की रमणीय वाडी में चारो ओर से मानवमेदनी आने लगी । लीमडी स्था० स्वयं सेवक मण्डल ने दिनरात परिश्रम करके रास्ते पर बडे बडे आकर्षक दरवाजे खडे कर दिये थे । ध्वजा पता का से रास्ते को अंगारित किया था । सुन्दर सुनहरी अक्षरों वाले बोर्ड लगाए गये थे। बगीचे में छाया की सुन्दर व्यवस्था की गई । र को पौषधशाला से भव्य जुलूस रवाना हुआ जिसमें मालकारी साहब झालोद तथा लीमडी ठाकुर साहब आदि राज्यकर्मचारी गणभी शामिल थे। सेंकड़ो नरनारियों के साथ जुलूस गांव में घूमता हुआ धीरे धीरे बारह बजे माछन नदी को लांघ कर वाडी में वथास्थान पहुँचकर सभा के आकार में परिणत्त हो गया । सेकडों भील के टोले के टोले चारो तरफ के गांव से इस महानउत्सव में हर्ष भरे हृदय से असह्य गर्मी के होते हुए भी गरमी की परवाह न कर आने लगे । स्त्रियाँ बालक सभी बडे उमंग के साथ भयंकर गर्मी के असह्यताप में उत्कण्ठित भाव से झुण्ड के झुण्ड बगीचे में उतर आये । कुशलगढ दाहोद संजेती झालोद झाबुआ आदि शहरों के दशनार्थी भी बडी संख्या में आये । श्रीमालकारी साहब झालोद लीमडी ठाकुर साहब श्री दीपसिंहजी साहब श्री खुमानसिंहजी साहब कुंवर साहब श्री बिलवाणी ठाकुर साहब श्री संभु. सिंहजी साहब तथा भ्राता हिम्मतसिंहजी, श्री लिलवा ठाकुर साहब, श्री रणजीतसिंहजी साहब आदि की सभी में राजकर्मचारियों की उपस्थिति अतीव शोभा प्रद थी। ___ इस तरह हजारों की संख्या में परिषद की उपस्थिति में मुनिश्रीने मङ्गलाचरण किया । पश्चात् महत् धर्मोउपदेशक यशस्वी पूज्यश्री ने अपना मार्मिक प्रवचन प्रारंभ किया। ईश्वर प्रार्थना का महत्व समझाते हुए पूज्यश्री ने फरमा कि “संसार में अगर मानवी सच्चे हृदय से शान्ति प्रार्थना करके जो भी कार्यकरना चाहे वह उसमें आसानीसे सफलता प्राप्त कर सकता है । आज से पहले ऋषि महाऋषि और नर वीरों ने न बनने जैसा जो भी कार्य किया है तो वह ईश्वरीय शक्ति से ही हुआ है । और उस ईश्वरी शक्ति को प्र गट करने के लिये प्रत्येक मानव को प्रयत्न करना चाहिए अहिंसा देवी की उपासना __असहाय प्राणी पर जुल्म करना मानवियों का काम नहीं है क्योंकि धर्मग्रन्थों में अथवा नैतिक ग्रन्थों में किसी भी असहाय प्राणीपर जुल्म करने की सख्त मनाई है। इसलिए हमें हर समय आदि भौतिक आदि दैविक आपत्ति से बचने के लिये इश्वर प्रार्थना अहिंसा भाव से करना ही चाहिये । इस प्रकार के प्रभावशाली प्रवचनद्वारा श्रोताओं के हृदय पर अहिंसा का अच्छा असर हुआ । पूज्यश्री के प्रभाव पूर्ण प्रवचन से सारी जनता मंत्र मुग्ध थी। पूज्यश्री के प्रवचन से मन्त्र मुग्ध हो कर सर्व लोगोने एवं श्रीसंघने चातुर्मास करने की जोरदार विनंती पूज्यश्री से भाव भीने शब्दों में अर्ज की कि हमारा क्षेत्र मालवा तथा गुर्जर देश के किनारे आया हुआ पहाड़ी प्रान्त का मुख्य क्षेत्र है । अगर यहाँ चातुर्मास होगा तो यहाँ महान उपकार होने की संभावना है । हम लोग अपने यहाँ आये हुए मुनिरत्नों को कभी भी नहीं जाने देंवे । यह हमारा पुराना भाविक क्षेत्र है । यहाँ बडे वडे आचार्य एवं मुनिराजों के चातुर्मास हुए हैं। इसलिये हमारी विनती को माननी ही पडेगी, उपरोक्त भाव पूर्ण विनंती को पूज्यश्री ने स्वीकार की Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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