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________________ ३३८ इस प्रण को तोडेगा उसको गौ मारने की हत्या और चित्तौड मारे का महान पाप लगेगा। और ठाकुरजी पूछेगा । यह पट्टा लिख कर आपको भेट करते हैं । द० जयनन्दन शास्त्री सभी पंचो के कहने से लिखामिति पौषवदि ८ रविवार ता० २३-१२-४० द. नम्बरदार दुलेसिंहका नि० गुलाबसिंहजो गेलौत नि. उदेसीगजी भाई इयाना द. कालूराम नि० गुलाबजी रावत नि० रामाजी द. रामसिंहजी नि. लछमनसिंहभाटी पंचेवा नकल पट्टा नं. ५ सिद्ध श्री श्री १००८ पूज्यश्री घासीलालजी महाराज साहेब व्याख्याता शास्त्रज्ञ पं. मुनि श्री कन्हैया. लालजी म. १००८ श्री सलाहकर केशरीमलजी महाराज के सुशिष्य सुबोध रतनलालजी महाराज तथा तपस्वी मदनलालजी महाराज आदि ठाना ४ का श्रीसंघ की विनंती से पिपलोदा से पंचेवा पधारना हुआ । आज रोज ॐशान्ति की प्रार्थना हुई । उपदेश सुन कर हम पंचेवा निवासी सब जाति के पंच मिलकर नीचे मुजब पट्टा लिखकर पूज्यश्री १००८ को भेट करते हैं. आज से हमारे गांव पंचेवा के कुल यानि सभी देवी देवताओं को मीठा प्रसाद चढायेंगे । यानि पञ्चेवा निवासी कुल देवी देवताओं के नामसे न बलिदान करेंगे और न दूसरों को करने देवेंगे । कुल देवी देवताओं के सामने कीसी जीवको न मारेंगे और न मारने देंगे । यह प्रण हम जाति के पंचोंने मिलकर किया है सो हमारा गांव व वंश रहेगा वहाँ तक निभावेंगे । इस प्रण को तोडेगा उसको गौ मारने की हत्या और चित्तौड मारने का पाप लगेगा। और ठाकुरजी पूछेगा संवत १९-९८ पौषवदि ११ बुधवार दः श्री जयनन्दन शास्त्री गांव के सब जाति के पंचों के कहने से लिखा निशानी व दस्तखत द० तेली रामनारायण द० दमामी रुगनाथ मोती बेगड द० भगवान भील नि किसान हजूरी नि० कालूबाबा द० हरचन्द माली नि० मोतीलालआजणा नि० चेनाभोपा द० रसुलपिंजारा नि० घासी बादडिया जब महाराज श्री नवलखा पधारे तो सारा गांव महाराज श्री का उपासक बन गया। यहाँ के निवासी महाराजश्री के प्रवचन से बड़े प्रभावित हुए । महाराजश्री ने गांव वालों को छकाया (दया) व्रत करने का उपदेश दिया । महाराजश्री के उपदेश के अनुसार गांव वालों ने दया व्रत किये । जिसमें नायक व थोरी जाति के लोगों ने भी मुखवस्त्रिका बांधकर दया की । यह दृश्य बडा ही अनोखा एवं हृदय परिवर्तन का साक्षात् उदाहरण था। महाराज श्री के उपदेश से सैकडों हिंसक व्यक्ति अहिंसक बन गये । सारे गांव वालों ने देवी देवताओं के नाम पर होने वाली हिंसा पर प्रतिबन्ध लगाया । और अहिंसा का पट्टा लिख कर महाराजश्री को भेट किया । नवलखा गांव वालों का अहिंसा विषयक पट्टा इस प्रकार हैनकल पट्टा नौलक्खा पट्टा नं. ६ सिद्ध श्री श्री पूज्यश्री १००८ श्री श्री घासीलालजी महाराज पं. रत्न मुनि श्री कन्हैयालालजी महाराज व साहब १००८ श्री सलाहकार केसरीमलजी महाराज के सुशिष्य रतनलालजी महाराज, तथा तप. स्वी श्रीमदनलालजी महाराज आदि ठाना ४ का श्रीसंघ की विनती से पिपलोदा से पंचेवा पधारना हआ । आज रोज ॐ शान्ति की प्रार्थनो हुई । उसमें दयाधर्म का उपदेश सुनकर हम सर्व नौलखा निवासी सर्व जाति के थोरी यानी नायक पंचमिलकर निचे लिखेमुजब पट्टा लिखकर पूज्जश्री १०८ श्री को भेट किया है। आज से हमारे गांव नौलखा के कुल यानी सभी देवी देवताओं)के नाम से कोई भी जीव नहीं मारेंगे और न मारने देंगे। जो मारेगा उसको गौ मारने की हत्या और चित्तोड मारे का पाप लगेगा। इस पट्टा के नियमो को हमारा गांव व वंश रहेगा वहां तक पालेंगे । सं. १९-९७ पौषवदी ११ बुधवार दः श्री जयनन्दन शास्त्री नौलखा गांव के सर्व जाति के पंचों के कहने से लिखा । दः सेवा चमना, द० परताजी, द. बगदीराम द० रामा नि० गोवागिरधारी द० जीवा नि० सेराजी नि० कान्हा नि० सवा नि० नाथु नि० उदा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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