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नि नानूरामकुलम्बी आमलीवाले द० वेणीरामनारायण भाई द० नानालाल गामोठ नि० भेराकुलम्बी द० गेन्दालाल सियार नि० हीरालाल कुलम्बी द० देवराम तेली नि० बगदीराम कुलम्बी नि० सोभारामजी गोरा द०भैरुलाल कुलम्बी नि० सोभारामजी धाडवी नि० सवाजी कुलम्बी द० पूना तेली द० अनोपसिंह कुलम्बी द० खुशालसिंह नि० बगदीराम कुलम्बी द० रणसिंहराजपूत द० रतनलाल सियार द० कस्तूरचन्द नि० कालू भील द० वावरू कुंभार नि० नानूरामभील नि० कालू भील ... पूज्य आचार्य महाराज श्री के शिष्य तपस्वी श्री मांगीलालजी महाराज ने रतलाम से बिहार करने के पहले ही से आयंबिल वर्धमान तप शुरू किया था उसका समाप्ति दिवस (पूर) पिपलोदा में धूम धाम से ता० १९-१२-४० को मनाया गया।
पिपलोदा में आयबिल वर्धमान तपउक्त तारीख के दिन पिपलोदा सुप्रिडेन्ट साहब श्री फूलसिंहजी ने सारी रियासत में अगता पालने का तथा ॐ शान्ति' की प्रार्थना करने का आवेदन पत्र जाहिर किया था । जिससे सारी रियासत में व पिपलोदा में अगता रखा गया था और 'ॐशान्ति' की प्रार्थना हुई । स्थान स्थान पर गौवों को घास आदि का प्रबन्ध किया गया और ब्रत उपवास आदि धार्मिक कार्य बडे मात्रा में हुए । पिपलोदा की ग्राम्य जनता तथा बाहिर के आये हुए दर्शनार्थियों से गांव के बाहर स्कूल के चौगान के विशाल मैदान में बांधा हुआ सामियाना खचाखच भर गया । अन्दर गुन्जाइस न होने से खुले मैदान में तथा स्कूल में नर-नारियों की भीड लग गई । ग्यारह बजे से जुलूस पिपलोदे गांव से रवाना होकर प्रार्थना स्थान पर पहुंचा जहाँ नियमित समय पर पूज्यश्री का व्याख्यान शुरू हुआ । __व्याख्यान में पूज्यश्री ने ईश्वर प्रार्थना का दिव्य स्वरूप समझाया जिसको सुनकर सुप्रिन्डेन्ट साहब तथो अन्य प्रजाजन खूब ही प्रसन्न हुए । बाद में सुप्रिडेन्ट साहब तथा स्क्ल मास्टर, राजकवि आदि के भाषण हुए। पूर के मौके पर व अन्य समय से कडों दया पौषध हुए। खास बात यह हई कि कसाइयों के लड़कों ने मुखवास्त्रिका बांध कर दया व्रत किये । इस प्रकार अनेक उपकार हुए।
दयाना, पंचेवा, नवलखा भोखेडी आदि छोटे मोटे गांवों में भी अगते के साथ 'ॐशान्ति प्रार्थना" हई और इन सब गांवों में देवी देवताओं के स्थान पर हिंसा न करने का पट्टा गांव के लोगों ने लिखकर भेट किया । जिसकी प्रतिलिपि इस प्रकार है । पट्टा नं. ४
पट्टा नकल इयाणा सिद्ध श्री श्री श्री १००८ श्री श्री पूज्य महाराज साहेब श्री घासीलालजी महाराज साहेब अपने शिष्यों के साथ गांव पिपलोदा से हमारी तरफ विनंती करने पर मिति पौषवदी ७ ता०२२-१२-४० को इयाना (जावरा स्टेट ) में पधारे । मिति पौषविदि ८ ता० २३-१२-४० को सारे गांव में पूज्य महाराज साहब की आज्ञा से पलती व अगता पाला गया और ॐशान्ति की प्रार्थना हुई । जिसमें सारा अयाना गांव के सभी जाति के पंच इकट्ठे हुए और श्री पूज्य महाराज साहब का उपदेश सुनकर हम गांव इयाना के कुल पंच सभी जाति के मिलकर इयाने के कुल देवी देवताओं को मीठे बना लिये । आन्दा हमारे गांव में हमारा वंश रहेगा वहाँ तक कुल याने गांव के सभी देवी देवताओं के नाम से कोई जीव नहीं मारेंगे और न दुसरे को मारने देंगे। कोई जीवमारकर नहीं चढावेंगे । उनके बोलामा में आये हवें जीवों के कान में कडी डालकर अमरिया बनादेंगे । अगर कभी काम पडेगा तो सभी देवी देवताओं को सब गांव वाले मिलकर मिठा प्रसाद चढावेंगे । इस प्रण को हम सब गांव के पंचोंने मिलकर व ठाकुरजी को बिच में रखकर चन्द्र मूर्य की साक्षी मानकर किया है सो हम व हमारा वंशज और हमरा गांव रहेगा वहाँतक निभाते रहेंगे।
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