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________________ ३३६ सिंहजी राठोड (सरदार) द. नीपाजी जाट नि. करणसिंहजी सोनगरा द. सरदार सीवा जाटका छे नि. कालूचमार बोदिना द. भीरू भारती गोसाई नि. करनारजी हीराजी नि. चमार कुनाराम बोदिना नि. गोरिया धूरजी नि. सागाजी कुलम्बी नि. भील भगाजी नि. चमार परथाजी द० नथमल महाजन द० केशरीमल महाजन द० गुलाबचन्द्र कुलम्बी द० अम्बारामजाट का द. बालाराम का नि. नन्दाजी हतनारा नि. नेनमहाराज गुसाई बोदिना द. तोलारामजी पटेल द बजेरामगी कोदार नि. भील भगाजी नि. चमार परभाजी बोदिना से पूज्यश्री ने बिहार किया । वहां से आप धामनोद पधारे । धामनोद में भी बडा उपकार हुआ । सैकडों व्यक्तियों ने आपका प्रवचन सुनकर हिंसा न करने की प्रतिज्ञा की। गांव के लोगों ने भी देवी देवता के स्थान में पशु बलि न करने का पट्टा लिखकर पूज्यश्री की सेवा में भेंट किया । धामनोद के पट्टे की नकल इस प्रकार है पट्टा नं० १ - सिध श्री श्री श्री १०००८ श्री पूज्यमहाराज साहब श्री घासीलालजी १००७ श्री वीरपुत्र समीरमलजी महाराज तथा पं. कन्हैयालालजी महाराज १००५ श्री तपस्वी मदनलालजी महाराज १००५ श्री तपस्वी जी मांगीलालजी महाराज आदि ठाना ५ सु मिति मगसर विदि १० रविवार को धामनोद पधारे व महासतीजी श्री स्थवीर पद भूषित १००८ श्री सज्जनकुँवरजी महाराज तथा विदुषी महासतीजी १००७ श्री मोहन कुँवरजी महाराज आदि मिति मगसर विदि १२ मंगलवार को पधारे व उसीदिन पूज्यश्री ने शान्ति प्रार्थना कराई । सारे गांव में पूरी तौर से अगता रखा गया व सारे गांव के लोग ॐ शान्ति प्रार्थना में शामिल हुए । उसमें पूज्यश्री के उपदेश को सुनकर हम गांव के कुल सब जाति के समस्त पंचों ने मिलकर हर ग्यारस हर अमावस्या को जबतक धामनोद कायम रहेगा व हमारा वंश रहेगा तबतक बैलो के कन्धे पर जुडा नहीं रखेंगे । व कोई भूल से जोड देवेगा तो हम समस्त पंच मिलकर उसकी कार्यवाही करके फौरन बन्द कर देंगे वे जो भी कुछ पंचों को मुनासिब होगा व दण्ड लेकर पिछा शरीक कर लेंगे और आईन्दा के वास्ते हिदायत कर देंगे, मगर हम अपना प्रण कभी नहीं तोड़ेंगे । यह प्रण हमने चारभुजाजी को व हर जाति के धर्म को बीच में रखकर चन्द्रसूर्य की साक्षी से किया है सो आनन्द से अखंड निभावेंगे, अगर इस प्रण को कोई भी तोडेगा तो वह ईश्वर का गुणनेगार होगा । यह पट्टा हमने सारे गांववालों ने मिलकर हमने अपनी खुशी से लिखकर और पढकर तथा सुनकर दस्तखत और निशानी की है सो सही है । मिति मगसरविदि १२ संवत १९९७दस्तखत रतनलाल सियाल आम पंचो के कहने अनुसार लिखकर दस्तखत किये सो सही । एक पट्टा हमने सब पंचों ने मिलकर कुल देवो देवताओं धामनोद के श्री श्री पूज्य महाराज के भेट किया कि जानते अजानते कभी भी हिंसा नहीं उपर लिखे पण को कोई भी नहीं तोड़ेंगे। अगर कोई भी इसके विरुद्ध चलेगा तो गार बनेगा । यह सब शर्ते हमने अपनी खुशी से लिखकर दस्तखत और निशानी कीनी है सो सही है । मिति मगसर विदि १२ मंगलवार संवत १९-९७ वह अपने प्रभुका गुने दः रतनलाल सियाल सारे गाव के पंचो के कहने के अनुसार लिखकर दस्तखत किया है सो सही है - नि. अनारजी राजपूत नि. तुलसीरामजी कोठारी नि० भैरूसिंहजी नि. अमराजी भारमल नि. वेणिराम द. रतनलाल पानवाला द० सोभाराम नाई द. दरजी रामनारायण द. केशवजी का नि. फकीरचन्द कोरिया द. देवीदास साधू द. केशरीमल का द. शंकर द. केशवराम घाडवी द. नाथूराम कुलम्बी नि. देवा कुलस्त्री द. कालूराम रोजाना का नि. हिरा धाडवी द. किसोर दमामी द. कालुराम कुलम्बी द धूलचन्द ननवाना द. राधाकिसन सेवक द० तेली अम्बाराम गणेश नि० देवाकुंभार द० भेरुलालसजावतिया नि० जॅकार भील Jain Education International मीठा बनाया है । वो करेंगे व न करनें देंगे For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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