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________________ लिए विदाई दी और मीलों तक साथ साथ चले और मागंलिक श्रवणकर सर्व मयअश्रुअपने अपने आवास पर आये। आप अपनी शिष्य मण्डली के साथ कोटावाले बाग में पधारे । यहां समस्त जैन संघ की प्रार्थना पर आपके दो जाहिर प्रवचन हुए । वहां से आपने सैलाने की ओर बिहार किया । मार्ग में बरवड आया । रतलाम से सैकडों भाई और बहने पूज्यश्री के साथ चलकर बरवड आये। श्रीमान अध्यक्ष सा० चान्दमलजी गान्धी ने आगन्तुक सज्जनों का भोजनादि से स्वागत किया । दूसरे दिन पूज्यश्री का घामगोद की ओर बिहार हुआ । धामनोद पधारने के थोडे समय के बाद रतलाम से एक डेप्पूटेशन आया । और पूज्यश्री से प्रार्थना करने लगा कि आज रतलाम नरेश श्रीमान् महाराजाधिराज महाराजा श्री कर्नल हिज हाइनेस सर सज्जनसिहजी साहब बहादुर अपनी समस्त रियासत में अगते पालने की एवं विश्व शान्ति के लिए रामबाग में ॐ शान्ति को जाहिर प्रार्थना करने की आज्ञा फरमाई है । अतः आपको ऐसे अवसर पर पुनः अवश्य रतलाम पधारना होगा और कल ता० २० । ११ । ४० को मार्गशीर्ष कृष्णा पंचमी को ॐशान्ति प्रार्थना कराने की महाराजा की विनती माननी पडेगी। रतलाम नरेश की धार्मिक भावना को ध्यान में रखकर तथा रतलाम संघ को प्रार्थना को ध्यान में लेकर आपने पुनः रतलाम पधार ने की विनती मान ली । विनती की स्वीकृति से रतलाम संघ में अत्यधिक प्रसन्नता छा गई। रतलाम का संघ प्रार्थना के आयोजन में जुट गया । समस्त रतलाम शहर में आयोजन की सूचना पत्र पत्रिकाओं द्वारा सर्वत्र कर दो गई । हजारों विज्ञप्ति पत्र जनता के हाथों में पहुँच गये । शान्ति प्रार्थना का विशाल दृश्यः सायंकाल के समय पूज्यश्री के तेले की तपश्चर्या होते हुए भी अपनी शिष्य मण्डली के साथ रतलाम की ओर बिहार किया । रामबाग की सरकारो कोठी में पूज्यश्री बिराजे । दूसरे दिन पूज्यश्री ने तेले का पारणा किया। और नौ बजे विशाल शिष्यमण्डली के साथ प्रार्थना सभा में पधारे। पूज्यश्री के आने के पूर्व ही रामबाग के गुलाबचक्र में हजारों लोग आ कर अपने अपने स्थान पर बैठ गये थे । चारों ओर से जनसमूह उमड उमड कर सभा खण्ड में आने लगा । देखते देखते समस्त गुलाबचक्र तथा उसके आसपास का प्रदेश जनता से खचाखच भरगया । बिलकुल बीच के ऊचे भाग पर पूज्यश्री को बैठने के लिए पाटे रखे गये थे। चारों तरफ भाई और बहनों को बेटने के लिए योग्य प्रबन्ध किया था। पूज्यश्री के पाट पर बिराजते ही हजारों लोगों ने जयध्वनि से आकाश को गुंजा दिया । पूज्यश्री ने आज का महामांगल्यकारी दिवस मनाने के लिए राजा प्रजा का एक चित्त देखकर हर्ष प्रगट किया । प्रारम्भ में अन्यमुनिराजों ने प्रार्थना का महत्व समझाते हुए कहा-प्रार्थना हृदय की मलीनता को दूर करने की अमोघ औषधि है । प्रार्थना से आत्मा विशुद्ध परमात्मस्वरूप बन जाता है इसी दृष्टिसे प्रार्थना का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है । इस प्रकार पूज्यश्री ने करीब एक घंटे तक प्रार्थना के महत्व को समझाया ।। पूज्यश्री के प्रवचन का जनता पर अच्छा प्रभाव पडा । प्रार्थना में सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए । शान्त, दान्त, धैर्यवन्त, पूज्यआचार्यश्री खूबचन्दजी महाराज साहब की सम्प्रदाय के विचक्षण सलाहकार पं० श्री केशरीमलजी महाराज सा. का भी इस प्रार्थना सभा में पधारना हुआ था । ॐ शान्ति की प्रार्थना के बाद पूज्यश्री ने अपनी शिष्य मण्डली के साथ सैलाना की ओर बिहार किया । रास्ते में धामनोद गांव आया । यहां पर पूज्यश्री का जाहिर प्रवचन हुआ । जैन अजैन भाइयों ने मिलकर ऊँ शान्ति की सामुहिक प्रार्थना की । उस दिन धामनोद गांव में अगता रखा गया । समस्त गांव की भक्त मण्डली जैन अजैन सभी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए । पूज्यश्री ने ईश्वर स्वरूप समझाकर देवी देवताओं के स्थान पर जीवहिंसा न करने का उपदेश दिया । पूज्यश्री के उपदेश से प्रभावित होकर गांव के सर्वजाति Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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