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में खुद शिकार नहीं खेलूंगा । (४) बीड़ मौजूदा दुबल्या का घास पूरा कट जाने पर वा खुद कर उठ जाने पर इजाजत बिना किमत पुण्यार्थ मवेशियान को (गायों को) चराने को दी गई है। (५) महाराज के शुभागभन की तिथि वैशाख वदी ४ को हरसाल अगता रखा जायेगा । लिखा श्री दरबार साहब का हुक्म से फक्त ता० २५-४-४० मुताबिक मिति वैशाख वदी ४ सं. १९९७ रामधन कामदार केरोट द० अंग्रेजी में (ठाकुरसाहब) उदयसिंह २४-४-४०
. नकल पट्टा बछखेडा सिद्ध श्री पूज्य महाराजश्री १००८ श्रीघासीलालजी महाराज प्रिय व्याख्यानी पं-रत्न मुनिश्री१००७ श्रीकन्हैयालालजी म० तपस्वी श्री मांगीलालजी महाराज आदि ठाना ४ चार का मिति वैशाख वदि ११ को गांवबछखेडा में पधारना हुआ । बाजार में अहिंसा का उपदेश फरमाया । उस उपदेश को हम सब बछखेडा निवासी महाजन ब्राह्मण क्षत्री, छिपा, जाट, गुजर, कुम्हार, नाई. सुनार, सुथार दर्जी, साधु खातो लुहार मालो मीणा तेली धोबी ढोली खारोल नाथ गुसाई, बावर, कलाल, खटीक, बलाई चमार रेगर, भील, महत्तर आदि बछखेडा के निवासी सर्व जाती के हमलोग माताजी भैरुजी. देवी, देवता सगसजी धनोपमाताजो वगैरा और देवी देवता के नामपर नकोई तरह का बलिदानजीवहिंसा नहीं करेंगे तथा अपनी तरफ से देवताओं को मीठी प्रसादी चढा दी जावेगी । यो प्रण मां चारभुजाजी तथा चन्द्रमा सूरज की साखसु अपनी इच्छासे किया है। इस प्रण सू जो विरुद्ध चलेगा जिंको भगवान भलो नहीं करेगा । यो प्रण मांको वंश रहेगा जहांतक निभाया जावांगा । संवत १९९७ वैशाख वदो ११ शुक्रवार द० फौजमल टोरपा पिपलाज वाला सर्व गांव कौम के कहवा सुलिख्याछे । द. फूलचन्द टोन्पा द० भूरानाई द. जोरूलाल गोखरू द० कल्याणमलतोसनीवाल द० राधाकिसन सुतार द. रामचन्द्रछीपा द० कनीराम तिवारी द. हीगसाधु द० जगन्नाथ ब्राह्मण द. धन्नालाल परासर द० रामसुख पंडा नि० जगन्नाथ परोत द. रामकरण ब्राह्मण नि. जगन्नाथदरजी द० फौजमल टोम्पा (सर्व हिंसा का दारु मांस का त्याग) दः धन्ना-दारु मांस व बलिदान जीवहिंसा नहीं करेगा । इस वास्ते बकरा बछडा नहीं बेचांगा द. सेनानी भूरा जाट बारोडा की छे, द. गुजर उदा वल्द कालूफनाकी दारु मांस छोड दिनों है । कभी लेऊं नहीं। नि. से. व्रजदासका अंगुठानाणी नि. धन्नानाथ की से नाणी है जाट हजारी है गोरा की सेनानी, नाई जवाहरमल की से. जाट किशन बारोट की सेनानी जाट गिरधारी बारोडा की से. नि. बलाई छोगा के अंगुठा की जाट बगतावर बारोडा की से. छीतर डागा की से० गुजर मांगाखाराकी से ० कल्याणदास की से० सुखा नटकी सेनानी, सुखानट राजीखुशी से दारु जीव मारवो जन्म भर छोड दीनो है । पोखर रेगर की अंगुठा की से. चमार धन्ना का अंगुठा की सेनानी चमार भैरु वल्द धुलाकी से. भुरा लखाराकी से० माली किसना की से. दः रामनाथ जाटका, द.धन्नालाल तेली, दः भुरसिंह का, दः हीराधोबी का, दःहीरालुहार का, लुहार धन्ना का अंगुठा की निसानी, दः भैरूखाती का नि.उगमा धोबी की सेनानी, वख्तार बावर की, से कल्याण कारीगर खाती की इत्यादि
इस प्रकार अनेक गांवों में धर्मोद्योत करते हुए पूज्यश्री बदनोर पधारे । यहां आपका जाहिर प्रवचन हुआ । बदनोर रावजी १०५ श्री गोपालसिंहजी ने पूज्यश्री के आदेश से बदनोंरा देश में एक रोज का अगता पलाया । इस देशमें धर्मकार्य करते हुए पूज्य श्री गुलाबपुरा विजयनगर, धनोप, हुरडा आदि गांवों में अहिंसा का झंडा फर्राते हुए तथा ॐ शान्ति की प्रार्थना कराते हुए शाहपुरा पधारे । वहां पर जनता की ओर से ॐ शान्ति की प्रार्थना हुई। और शाहपुरा नरेश श्री १०५ श्री उम्मेदसिंहजी साहेब ने नाहर निवास में पूज्यश्री का व्याख्यान सुना और चातुर्मास करने की जोरदार विनती की तथा वहां श्री मनोहरसिंहजो चंडालिया को रतलाम श्री संघ की सेवा में यह कोशिश करने के लिए भेजा कि पूज्यश्री का चातुर्मास सहापुरा करने के लिए. पुज्यश्री को खुला कर दे किन्तु पुज्यश्री का चातुर्मास लम्बे समय से रतलाम
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