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________________ ३२८ ४-४० मांगीलाल पालडेचा द. सुगनचन्द्र संचेती द. हगामीलाल लोढा द. ठा. ० बलवन्तसिंह द० हगामी सुनार नि भोपाजी छोटू कलाल नि० रामकिसन सिरोठा नि गंगा मीटर को गुजर नि० तेजू किर की द. दमामी द. कल्याण खटीक, द. महन्त वसन्तीलाल खटीक, नि. धन्नामाली नि कल्यान तेली नि. बाबू रेबारी नि. मोडूनमार नि. सुवोनाई नि. रामा मीटरपटेल खंगार कोली द. लादु लोहार नि. घासीकलाल, नि. हमीरा नायक नि. गङ्गाराम खाती नि. भजाचमार नि.जमनी चमोरी नि. छोटूखमीर नि. सुजाबावर नि. भूरा नाई द. गङ्गा द. उदराम पंडया द. जालमसिंह । नि. कजोड कुमार नि. शान्तागुसाई नि. सहदेवखाती नि. भोडारेबारी नि. भगवान रेबारी नागोलाहाला की छे नि. पटेल हमीरा नि. हरसल नि. मोहनमेहतर नि. हगामीलाल मे - हतर नि. मोतीमेहतर नकल पट्टा मोजा सागरिया सिद्ध श्री श्री १००८ श्री पूज्य महाराज साहब श्री घासीलालजी महाराज तपस्वी श्री मदनलालजी महाराज ठाना ४ से हमारे यहाँ सागरिया पधार्या और अहिंसा का उपदेश फरमाया उस उपदेश को हम सागरिया निवासी गुजर, पटेल, जाट, जोगेश्वर खाती नाई, कुम्भार माली, धोबी रेबारी, ढोली, भील, रेगर बलाई, खटीक, चमार फकीर मुसलमान बागरिया भंगी सर्व गाँव कि अर्ज मालूम होवे की आज पीछे हम सर्व कोम के लोग कोई तरह की जीवहिंसा करांगा नहीं । देवी देवता माताजी भेरुजी, शख्शजी धनोप माताजी के कोई जीवहिंसा करांगा नहीं । तथा इनके नामसे कोई भी जीव होगा उन्हें अमरियो कर कुडक घाल देवेंगे और देवता के लिए व खाने के लिये हम सर्व कौम का लोग जीवहिंसा करांगा नही । यह प्रण श्री चारभुजाजी महाराज को बीच में रखकर चन्द्रमां सुरज की साक्षी से आपका उपदेश लागवा सुं कर्यो है। सो हम लोनों का वंश तथा गांव सागरोया रहेगा तब तक निभावांगा आद औलाद रहेगा वहाँ तक पाल्या जावांगा इन प्रणसु जो विरुद्ध चलेगा जीको भगवान भलो नहीं करेगा । स० १९९७ मिति वैशाख वद ३ बुधवार । ता० २३-४-४० गामवाला का केवासु लिखो । द० भूरालाल चोकरी द० हगामीलाल छमानीराम द० भूरालाल बावेल, द० दौलतसिंहजी चौधरी, द० भुरा दीपा, द० पटेलमोजूवेली द० अहमदखां द० ठा० पृथ्वीसिंह द० कल्याणरेगर नि. मांग्या नि. लच्छा चमार, नि० छोगा खटीक, नि० उकाचमार नि०बालु । नि० रेंगर नि० सुखा रेगर नि० बालू चमार नि० लछारेगर नि० मोती रेगर नि. गोप्या रेगर नि० सफरातफकीर नि० लछमीनारायण दरोगा नि० नारायण रेगर नि० नाथु गुजर द० नाथुपनारा द० घन्नालुहार द० लादूरामनाई नि० पन्नामाली नि० पोलदारेंगर द. कालाधारी दः धन्ना लोहार दः लादूराम नाई नि. पन्नामाली द: पोलदारेगर नि कालू घाडी दः राजमा पुरा नि. गंगा रेगर दः जुवानारेगर नि भागीरथकीर दः नखरियानट नि. मांग्यारेगर दः हरजारेगर नि. वीरमारेगर नि. जगल्या रेंगर । (मोहर छाप ठिकाना कॅरोट) श्री श्री १००८ श्री पूज्य महाराज साहेब श्रीघासीलालजी म० तथा तपस्वीश्री मदनलालजी महाराज का कैरोट राजस्थान में पधारना हुवा और दरबार खास के चौक में पूज्य श्री महाराज का व्याख्यान धर्म और सद् उपदेश हुवा। उस उपदेश के अनुसार नीचे लिखे नियमों का पालन होता रहेगा । (१) सभी देवी देवताओं को मीठा प्रसाद चढाया जावेगा हिंसा नहीं की जावेगी । ( २ ) इलाका कैरोट के सर्व तालावों में कोई बिना इजाजत शिकार नहीं कर सके ऐसा साईनबोर्ड लगा दिया जावेगा । इलाके भर में पजुषन में भादवावदि ११ से भादवा सुदि ५ तक शिकार करने की सखत मुमानियत रहेगी और घाणी वगैरा का अगता रहेगा और मैं श्रावण भादवा कार्तीक वैशाख में वा तिथि ११-१५-३० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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