SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 348
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२७ शुक्लपक्ष की अष्टमी पर देवीजीके नाम पर जो बलिदान होता है वह बन्दकर सब ही देवी देवताओं के स्थान पर मीठाई चढाइ जावेगी ( ४ ) आहेड की शिकार हमेशा के लिये बन्द की गई (५) ग्यारस अमावस पूनम चार महिनों की वा वैशाख वा कार्तिक में हम शिकार दारूका खान, पान नहीं करेंगे और हमारी जबान से कहकर के किसी जिव की हिंसा नहीं करावेंगे न खुद करेंगे । उपरोक्त लिखी हुई कलमों का पालन ठिकाना लाम्बा में पाला जावेगा सं.० १९९७ का चैत सुद ४ गुरुवार द० ओंकारलाल व्यास श्री रावला का हुक्म से लिया है । मोहर छाप ठिकाना नान्दसी ता० २१-४-४० स्वस्ति श्री राज श्री करणसिंहजी वचनायतु पूज्य श्री घासीलालजी महाराज के अक्समात यहाँ भाषण होने पर निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जायेगा । (१) अहेडा बन्द किया जायेगा (२) भैंसा मारना बन्द किया जायगा (३) पनधरिया तालाव में गोली चलाने व मछली मारने की इजाजत नहीं दी जायगी । ( ४ ) कार्तिक मास दरबार साहब खुद गोली न चलावेंगे मिति चैत्र सुद १४ सं. १९९७ वे का हुक्म श्री दरबार साहेब लिखा है । (जि० अजमेर मेवाडा) ( नकल पट्टा कुँवर साहबान लाम्बा ) सिद्ध श्री श्री श्री १००८ पूज्य महाराज घासीलालजी म.मय शिष्य मण्डली सहित के चरण कमलों में लाम्बा से कंवर हरनाथ सिंह बलदेव सिंह की चरण वन्दना अर्ज होवे । आपका पधारना यहां लाम्बा में चेद सुद ३ को हुआ । उस शुभ अवसर पर हम दोनों भाई हाजिर नहीं थे और आप की अमृतवाणी का लाभ नहीं उठा सके जिस का हमको बहुत अफसोस हैं । अब भी आपसे प्रार्थना है कि हम पर कृपा फरमा कर ऐसा शुभ अवसर जल्दी बक्षे और आपके उपदेश की चर्चा यहाँ के आदमियों से सुनकर हमारे हार्दिक भाव से प्रतिज्ञा करते सो हमेसा आपकी दया से निभाते रहेंगे (१) हमारें परम पूज्य पिताजीने जो प्रतिज्ञा की है वो सब हम निभावेंगे ( २ ) त्रियोला नामी तालाब व काला नामी तालाव में किसी किस्म की हिंसा हम न करेंगे। हमारे होते हुए दूसरो को भी न करने देंगे । (३) सांभर बटेर हिरण रोज रींच मच्छी हरेल इन जानवरों को हिंसा नहीं करेंगे न इस्तेमाल करेंगे (४) हमारे मातेश्वरी के यादगार में तीन महीना वैशाख जेठ और अषाढ में प्याउ का इंतेजाम आपके उपदेश मा फिक रखा जावेगा (५) श्रावण मास में किसी किस्म की हिंसा नही करेंगे न मांस मदिरा का सेवन करेंगे उपर लिखी प्रतिज्ञा करते हैं सो लिखकर आपके चरण कमलों में भेट करते हैं कृपा फरमा कर स्वीकृत करावें सं. १९९७ का वैशाख दिन गुरुवार द. कुंवर, बलदेवसिंह द. हरनाथसिंह लाम्बा घनोप का पठ्ठा यह सब वीर जयन्ती के मोके पर पट्टा हुआ है सही -- सिद्ध श्री पूज्य महाराज साहब श्रीघासीलालजी महाराज तपस्वी श्री मदनलालजी महाराज आदि ठाना ६ सु हमारे यहाँ धनोप नगर में पधारना हुआ और अहिंसा का उपदेश फरमाया उस उपदेश को धारण किया । गुजर पटेल जोगेश्वर, खाती नाई राजपूत, कुंभार, रेबारी, भील, बलाई चमार खटीक आदि सर्व जाति धनो पनिवासी की अर्ज मालूम हो कि आज पिछे धनोप के सब कौमका लोग कोई तरह की जीवहिंसा करांगा नहीं तथा देवता माताजी भेरूजी सगसजी आदि के लिये कोई जीव हिंसा करांगा नहीं तथा इन के नाम से कोई जीव मारंगा नहीं सब देवता के मीठी प्रसादी चढावाँगा । इनमें किसी प्रकार की भूल न होगी हम सब पंचोंने पट्टा खुशी से लिख दिया है । ५० माधो प्रसाद पेरोकर, सब पंचों के कहने से लिखा चेतवदि १३ सं. १९९७ ता० २० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy