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________________ ३२६ गया और होली के तीसरे दिन अहडा की शिकारखेली जाती थी जिसकी ऐवज में गुगरी ठिकाने में पंच महाजनों की तरफ से जमा होकर शिकारखेलना बंद था । लेकिन पांच साल से गुगरी न देकर अ हडा खेलने की रोक नहीं करते थे। अहडा चढाया जाता था । अब पूज्य महाराज साहेब के पधारने से ठिकाना हाजा की तरफ से यह अहडा चेत विद का बंद किया गया हैं और ग्यारस अमावस पुनम को शिकार नहीं करेंगे । सं० १९९६ का चैत्रवदी १ दीतवार दः पदमसिंह ठि० जगपुरा श्री एकलिंगजी नकल पट्टा पडासोली श्रीरामजी सिद्ध श्री श्री १००८ श्री श्री पूज्य श्री घासीलालजी महाराज १००७ श्री साहित्यप्रेमी मनोहर व्याख्यानी पं मुनिश्री कन्हैयालालजी महाराज श्री १००७ श्री मंगलचन्दजी महाराज श्री १००५ श्री विद्यार्थी विजेचन्दनी महाराज श्री १००५ श्री तपस्वी श्री मदनलालजी महाराज. ठाना ६ सुं पधारिया और ॐशान्ति की प्रार्थना हुई और अहिसा का उपदेश दिया। उस उपदेश को सुनकर हम सर्व कोमवाला आज से कोई जीवहिंसा नहीं कगंगा यो प्रण मां चारभुजाजी महाराज व चांद सूरज की साक्षी से सोगन किया है । अणी प्रण सु विरुद्ध चलेगा विणरो भगवान भलो नहीं करेगा सं. १९९६ का चेतवदि दीतवार दः रोकडचन्दसंचेती सर्व कोम के केवासु, दः मोडूलाल कांठेड, द.कंवरलाल बडोला दःमांगीलाल कांठेड द.भुरालालबुरुड द.मांगीलाललोढा द.कसनामाली द.किस्तुरचन्दसुनार द.सुर जाधोबी नि.वरदालखमावत नि.परताबाडाकोत नि. नाईलाटु नि. भनाबजाड नि. माधुदरजी नि. लखमावतऊंदा द. नन्दलालब्राह्मण नि. भील भरदा नि. कुणगर नि. भीलरूपा नि. हमीरा कुम्भार नि. भीलरूपा नि. रीमापीनारा नि. मेरूखाती नि. रामाभांभी नि.राजमल आंचला इत्यादि... नकल पट्टा काचलाखारी पट्टा न. ८ सिद्ध श्री पूज्य श्री १००८ श्री घासीलालजी महाराज ठाना ५ से दानपुर में बिराजमान थे उस मौके पर हम काचलाखारी के कूल भिलान उपदेश सुनने आये । महाराज श्री १००८ श्री ने दया धर्म का उपदेश सुनाया । उसको सुनकर हम सभी ने नीचे को मुजब कुलदेवी, देवतागण ने पाडा बकरे मुर्गे आदि जीवों को मारकर चढाना बन्द कर उनके बदले मीठा भोग चढाकर धूपध्यान करांगा, कोई भी जीव देवी देवतागण के नाम थी देवता के सामने तथा घर में व बाहर में नहीं मारेंगे और न मारवा देंगे । इस ठहराव को तोडेगा उसको बाराबीज पूगेगा । यह ठहराव हमारे गाँव व हमारे वंश रहेगा वहां तक पालेगा । संवत १९९७ माघ यदि ६ शनिवार ता. १८, १, ४१ दः जयनन्दन शास्त्री-पंचों के कहने से लिखा नकल निशानी व दस्खत नि. रावत थावरजी नि. गामड कालू नि. रंगजी गामड गाम जूवार नि. निनमा रुकमा नि. गामड रतना नि. कूरिया नि. गामड थावरावल्ददीत्या नि. नाथू दानपुर (इसने हिंसा दारू पीना मांस खाना छोडा दिया) नि. चरपटो वीरजी गाम खेडिया नि. केरींगो गाम नेगडिया नि. रावजी नागजी नि. मंगरा राठौड श्री चत्रभुजजी नकल पट्टा लाम्बा सही श्रीरामजी ।। सिद्ध श्री श्री १०० श्री पूज्य महाराज साहब श्री घासीलालजी महाराज पण्डित आदि शिष्य मण्डली सहित लाम्बा में चैत्र सुदि ३ को पधारिया चोथ का अगता रहा तथा आज रोज ॐ शान्ति की प्रार्थना हुई। इस उपदेश से नीचे मुजब प्रतिज्ञा कर हमेशा पट्टा में पाली जावेगी । ठाकुर साहब राजश्री मोतीसिंहजी सोना नवेश वा ताजीमदार के वक्त से । (१) पजुषणों के आठों दिनों में अगता रखा जावेगा (२) फुल सागर तालाव में शिकार खेलना कतई बन्द कर दिया जावेगा । आज से बन्द किया गया (३) बारह महिनों में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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