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________________ ३२५ पार प्रण हम सर्व कौम का लोग इकट्ठा होकर श्री चारभूजाजी को बीच में रखकर चन्द्रमा सूरज के साख से आपका उपदेशसुं करियो। सो जब तक हम लोगों का वंश रहेगा तब तक बच्चा बच्चा यो प्रण पाला जावेगा । पूज्य महाराज को इण उपदेश से गांव का बच्चा २ पर पूरीतरह से असर हुवा । इससे विरुद्ध चालेगा उसका भगवान भला नहीं करेगा । शुभ सं० १९९६ का चत्रकृष्ण अमावश्या रविवार द० श्री दान किये सर्व जातिवालों के कहनेसे लिखा है द० मेहता शेरसिंह द० सामन्तसिंह द० याणसिंह द० दौलतसिंह द. केशरसिंह द० बलवन्तसिंह नि० भूरासिंह नि-ड्रगाबावजी, नि नन्दासिंह डोलिया नि: नंदाजाट नि० अमराजाट, द० मोतीमालो द० छोटूमाली खेजडी नि० भूराखुमार द० रामा देवाला, नि. सबलपुरीजी सा०सा वागा, नि. जुवारा पटेल जातछावण नि. सा० परताबजीसा० नि० लछमण सा० नि० ऊंकारा पटेल, नि० सा० मूंगाजाङ बकरा पाडा मारा हाथ सुं न मारुंगा द० बालुबाला परताबपुरा, नि. श्रीरामकोल्या,नि० श्री नि. बाईमेस, द० भेरखाअमराजी नि. कूकाजी, द० करमखानीलगर सा० वख्ता. वरखेर, द० चारणनन्दसिंह, निसुखदेव सिंह, द० ढोलीभुराका पटेल छ । ॥ श्रीरामजी ।। नकल पड़ा गांव जीवार सिद्ध श्री श्री १००८ श्री श्री पूज्य महाराज साहेब श्री घासीलालजी महाराज मुनि श्री १००७ श्री कन्हैयालालजी महाराज श्री १००५ श्री मंगलचन्दजी महाराज श्री १००५ श्री मदनलालजी महाराज आदि ठा० ४ सु बिराजमान हैं । गांव जीवार में आज दिन ॐ शान्ति की प्रार्थना हुई । जणी में पूज्य महाराज अहिंसा को उपदेश दियो उपदेश को धारण करके मां सर्व लोग जीवारवाला सर्व कोम का ठाकुर मालो खाती, नाई, कुम्हार लुहार बलाइ भील चमार, आदि कोम की अर्ज मालूम होवे । आज पीछे मां लोग सर्व कोमवाला जीवहिंसा नहीं करांगा । तथा देवी देवता माताजी भैरूजी आदि देवता के नाम की कोई जीवहिंसा नहीं करांगा । इनके नाम से जीव मारांगा नहीं । सर्व देवता के मीठी परसादी चढावांगा तथा इनका नाम का सर्व जीवों को अमरियां कर देवांगा । पण मांके लिये तथा देवता के नाम केलिए में सर्व कोम का कोई जीवहिंसा नहीं करांगा । यो प्रण श्री चारभुजाजी महाराज को बीच में रखकर चन्द्रमा सूरज की साखस करि यो है। सो मां लोग मांको गांव जीवार रेवेगा तथा मां को वंश रेवेगा वहां तक प्रण पाला जावांगा। कोई जीवहिंसा नहीं करांगा इण प्रणसु विरुध जो चालेगा उसका भगवान भला नहीं करेगा सं० १९९६ का फागन सुदी ६ शुक्रवार द० तोलाराम रांका जेनगर वाला का सर्व कोम का केवासु जिवार में लिख दिनो छ। द० रिखबचंद रोकडचंद संचेती पडासोली नकल पट्टा गांव जीवार नि० जोधामाली नि० कानासुत कसना नि.भूराखाती, नि.भुराकी नि.गंगारामधना नि.मालीलछमण पाबदान नि. उदाचमार नि. रूपाडोई नि. खातीछोगा. नि. नीबा नि. मोतीमाली नि. गुणेश नि. भुरा सवाह सतबर नि.मालीगांगा नि. छोगासुत कालुको नि.हजारीउदका नि. नन्दाकी नि. दोलाकी नि.हमीराकी नि बालडोइ नि. खेमामाली, नि. कजोडखाती नि. बलाइखेमा नि. छोगा दोला की नि. छोगासुतगोगा नि. भूराकालू नि. मुलाबलाई नि. आईदिन नि. कसनाचलाई नि. गरधारी नि. उकारामाली नि. गामबलाइ, नि. जाला की नि. माना नि. नीबा की नि. बलाईधना नि. बलाइगांवकी नि. दुलाबलाई नि. कसनाकी नि. हरदेवाकी नि. भुरानट नि. छोगा सत नि. जुवारामाली नि. रामा नि. रूपाफागन नि. सुतनंदा नि. गंगाराम नि. उकारा सतजवारा नि. मालीहाजारी नि. मालीवगतावर नि रामाबलाई ॥ श्री एकलिंग जी नकल पट्टा जगपुरा ॥ श्री रामजी ॥ श्रीमान श्री श्री श्री श्री १००८ श्री पूज्य श्री घासीलालजी महाराज साहब का पधारना गांव जग पुरा में हुआ और फागन सुद ९ को शान्ति व्याख्यान हुआ । जिसका सरहद जगपुरा में अगता रखाया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003976
Book TitleGhasilalji Maharaj ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRupendra Kumar
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages480
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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